HomeRanchi Newsपैसे की कमी के कारण एडमिशन नहीं होपा रहा था, फ्रेंड्स ऑफ विकर सोसाइटी के सहयोग से हुआ एडमिशन
पैसे की कमी के कारण एडमिशन नहीं होपा रहा था, फ्रेंड्स ऑफ विकर सोसाइटी के सहयोग से हुआ एडमिशन
रांची कि एक होनहार छात्रा गरीबी और सामाजिक बाधाओं के बावजूद उसने अपनी मैट्रिक एग्जाम में 85% अंक प्राप्त करके अपने परिवार, स्कूल एवं समाज का नाम रौशन किया। इस होनहार छात्रा की मां, जो दूसरे के घरों में काम करती है, उसे अपनी बेटी को आला तालीम दिलाने के लिए इंटर कॉलेज में दाखिला करने में काफी दुसवारी हो रही थी।
यह होनहार छात्रा, जिसने मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में बेहतर कर इंटर कॉलेज में दाखिला लेकर आईएएस बनने का खवाब देख रही थी। वह अपने सपने को पूरा करने के लिए कॉलेज में प्रवेश करना चाहती थी। लेकिन पैसे की कमी के कारण खखिला नहीं होपा रहा था। तब उसकी मां ने उसे कहा कि मैं अपने कान का जेवर बेच देती हूँ तुम इस रकम से एडमिशन लेलो इसके बावजूद, बच्ची ने अपनी मां की सलाह को नहीं माना और इसी बीच 12 जून एडमिशन की आखरी तारिख खत्म हो गई।
जब “फ्रेंड्स ऑफ विकर सोसाइटी” के मेम्बरों को इसके बारे में पता चला तो सोसाइटी के सदस्यों ने बच्ची के परिवार से राब्ता कर उसके इंटेर में दखल की पूरी ज़मीदारी ली। बच्ची की मां ने कहा कि एडमिशन में 11000 लग रहा है और मेरे पास सिर्फ 4000 है। सोसाइटी ने एडमिशन के लिए पूरे रकम देने की बात कही तो छात्र की मां ने कहा आप मुझे सिर्फ घाटे हुए रकम दें। मैं ने पेट काटकर कुछ रकम जमा किया है मैं चाहती हूं की मैं अपने बेटी की पढ़ाई में कुछ रकम दूँ। उसके मां के इस ज़ज्बे को सलाम।
आज फ्रेंड्स ऑफ वीकर सोसाइटी ने बच्ची को 8000 रुपय (8000) का स्कॉलरशिप दिया। मिडवेल हॉस्पिटल के मैनेजर जनाब खुर्शीद आलम ने अपने हाथों से चेक दिया।
फ्रेंड्स ऑफ विकर सोसाइटी के खजांची अरशद शमीम ने बच्ची के दाखिल में काफी अहम रोल अदा किया। वे खुद ursuline convent inter collage पहुँचकर प्रिंसिपल और मैनेजमेंट से बात की काफी मशक्कत के बाद स्कूल ने कंसीडर किया। अरशद ने बताया जब प्रिंसिपल ने एडमिशन का डेट खत्म होने की वजह से एडमिशन लेने से इनकार कर दिया था तो बच्ची और उसकी मां के आंख भर आये थें।
अल्हम्दुलिल्लाह बच्ची का दाखिला हो गया है। फ्रेंड्स ऑफ वीकर सोसाइटी आने वाले दिनों में जितने ज़रूरतमंद बच्चों का दाखिला कराया है सभी बच्चों को मंथली स्कॉलरशिप देने पर सोसाइटी में विचार किया जाएगा। ताकि उन्हें अपने पढ़ाई में किसी तरह की दुसवारी न होसके।

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