हमे साझा समाज मे रहने का हुनर सीखना चाहिए: इबरार अहमद
हजारीबाग: पूरे राष्ट्रीय स्तर में चरणबद्ध तरीके से चल रहे मुसलमानों के प्रति हिंसा और घृणा अभियान के विरुद्ध राज्यस्तरीय बैठक में राज्य के कई जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह बैठक पगमिल, हजारीबाग स्थित होटल ग्रैंड मैरिज हॉल के सभागार में आयोजित किया गया। बैठक की अध्यक्षता माही व साझा मंच के कन्वेनर इबरार अहमद ने की जबकि मंच संचालन माही के प्रवक्ता मुस्तक़ीम आलम ने किया।
इस बैठक में चिंता ज़ाहिर की गयी कि सुनियोजित तरीके से मुस्लिम बच्चों के खिलाफ़ साजिशें रची जा रही है और उन्हें बिना कारण, बिना जाँच पड़ताल के उन्हें जेलों में भेजा जा रहा है। मुस्लिम बच्चियों के खिलाफ़ एक चक्रव्यूह रचा जा रहा है जहाँ से निकलना आसान नहीं है। बच्चियां स्कूलों,कॉलेजों,कोचिंग संस्थानों और बाजारों से ग़ायब कर दी जा रही है, उनका शारिरिक शोषण किया जा रहा। इस बात पर बैठक में गहरी चिंता ज़ाहिर की गई है और कहा कि लोग अपने बच्चियों की निगरानी और मार्गदर्शन करें। बैठक में इस बात पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की गयी कि मुसलमानों का हाशिये पर रहने के बावजूद सुनियोजित तरीके से उनका टार्गेट कर वोटों के लिए धुर्वीकरण किया जा रहा है।
बैठक में राज्य के विभिन्न जिलों और कई अंजुमनों के प्रतिनिधियों ने वर्तमान परिपेक्ष में अपनी बातों को रखा। बैठक की अध्यक्षता करते हुए माही व साझा मंच के संयोजक इबरार अहमद ने कहा कि समस्यायें केवल बाहरी नही है बल्कि समस्यायें हमारे भीतर भी हैं। उन्होंने कहा कि साझा समाज मे रहने का हुनर भी हमे सीखने की जरूरत है। समाज मे विभिन्न संस्कृतियों के लोग रहते हैं, हमे उनका सम्मान करना चाहिए। साझा समाज मे बहुत सारी चुनौतियाँ होती है लेकिन इसे समस्या के रूप में विकसित नही किया जाना चाहिए। यह सही है कि देश और राज्य के मुसलमान इन दिनों मुश्किल में है, उनपर कई झूठे आरोप मढ़े जा रहे हैं, इस झूठ का पर्दाफाश करना जरूरी है ताकि आम लोगों को सच्चाई का पता चले।
झारखण्ड अंजुमन के संयोजक व वरिष्ठ समाजसेवी जुनैद अनवर ने कहा कि इस बैठक की एकमात्र मक़सद है कि पूरे झारखंड की तंजीमें व सामाजिक लोग संगठित होकर अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ़ हो रहे अन्याय के प्रतिरोध में आवाज़ उठाया जाए क्योंकि हमारी समस्याओं को कही भी दर्ज़ नही किया जाता है यहाँ तक कि प्रखण्ड, ब्लॉक स्तर तक भी अधिकारी नही सुनते, बल्कि हमे दोयम दर्जे के नागरिक बनाने की देश्वयापी साजिश को अंजाम दिया जा रहा है। जब राजनीति में हमारी कोई भागीदारी नही है तो सभी पार्टियां हमे अपनी राजनीति का केंद्र क्यों बनाती है? हमे गालियां क्यों दी जाती है? राज्य के समस्त मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि यदि गोड्डा के किसी निर्दोष मुसलमान पर किसी तरह का ज़ुल्म होता है तो वह दर्द राज्य के सभी मुसलमानों को होना चाहिए। हम समूहों में विभाजित हैं, हमे संगठित होने की जरूरत है तभी हमारी आवाज़ को ताक़त मिलेगी।
जमशेदपुर के समाजसेवी और चिंतक रियाज़ शरीफ़ ने कहा कि झारखण्ड अंजुमन के प्लेटफार्म की ये दूसरी क़ामयाब नशिस्त हज़ारीबाग में हुई जो बड़ी बात है। हमे चाहिए कि हम अपने रोजगार को अच्छे ढंग से करते हुए फलाही कामों में अपने वक़्त को शरफ़ करें तो समाज मे तब्दीली यक़ीनी है। हमारे बीच लतादाद सामाजिक बीमारियों व बुराइयों की फेहरिस्ते हैं लेकिन इसको सिर्फ गिनाने से मसले का हल नही है, इस बात को दुहराते रहने से हममे एहसासे कमतरी आएगी। हमे मुसबत क़दम उठाने की जरूरत है ताकि मसले का हल संभव हो। अगर हम अपने परेशानियों को खुद रक़म न करेंगे तो दूसरों से क्या उम्मीद रख सकते हैं? आज अफ़रादसाज़ी झारखण्ड स्तर में करने की जरूरत है और उनको लोकतांत्रिक मूल्यों को समझा कर, ट्रेनिंग देकर लोकतांत्रिक हक़ को लेने के लायक़ बनाया जाए।
अंजुमन इस्लामिया राँची के महासचिव डॉक्टर तारिक़ हुसैन ने कहा कि मुसलमान आज हर क्षेत्र में एक मोहरा बनकर रह गया है। उनके सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में बाधायें खड़ी की जा रही है। एक विशेष पार्टी के नेताओं द्वारा मुसलमानों को लक्ष्य बनाकर हमले किये जा रहे हैं, उनकी नागरिकता को संदिग्ध बनाया जा रहा है। चतरा से साहेबगंज तक नफ़रत की चादर तानी जा रही है, उनपर शिकंजे कसे जा रहे हैं। जरूरत है हम संगठित होकर इसका लोकतांत्रिक प्रतिरोध करे।
इसके पूर्व हजारीबाग वार्ड 1 के पार्षद फ़िरोज़ ख़लीफ़ा ने झारखंड के विभिन्न इलाक़ों से आए मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि बदलते हुए हालात को देखते हुए लोगों को बेदार करने की जरूरत है कि जहाँ-जहाँ नाइंसाफ़ी हो रही हो उसके खिलाफ़ आवाज़ बुलंद किया जाए और लोकतांत्रिक विरोध दर्ज़ कर कानूनी लड़ाई लड़ी जाए।
विषय प्रवेश कराते हुए हजारीबाग के इरफ़ान अहमद उर्फ काजू भाई ने कहा कि झारखण्ड अंजुमन की यह दूसरी बैठक हजारीबाग में रखी गई ये हमलोगों की खुशनसीबी है। इस संगठन के बनाने की वाहिद मक़सद झारखंड के सभी छोटी-बड़ी तंजीमों को एक धागे में पिरोकर मजलूमों की आवाज़ बनने की है और कमज़ोर तबक़ों को मायूसी से निकालकर समाज के मुख्य धारा से जोड़ने की है।
बैठक में अन्य वक्ताओं ने जोर देते हुए कहा कि एक मजबूत संगठन का निर्माण किया जाए जिसकी आवाज़ राज्य के सीमाओं के पार भी सुनाई दे। हम मज़लूम बनकर नही रह सकते। जब संविधान ने हमे समान अधिकार दिये हैं तो हमारे मौलिक अधिकारों के हनन करने का अधिकार किसी को नही है। हम झूठे बेबुनियाद आरोपों का लोकतांत्रिक प्रतिरोध करेंगे और इसके लिए हम झारखंड के लोग संगठित हैं, तैयार हैं। किसी को भी मुसलमानों के सेंटीमेंट से खेलने की इजाज़त नही दी जाएगा और न ही किसी को प्रताड़ित करने का अधिकार है।
मुख्य वक्ताओं में नेसार अहमद, मोहम्मद सैफ़ अली, वसीम खान उर्फ टिंकू, अधिवक्ता इज़हार हुसैन, तस्लीम अंसारी, पूर्व प्रमुख कटकमसांडी बाबर अंसारी, सोनू इराक़ी, जिशान अहमद, अधिवक्ता ऐहसान ख़ान, पलामू के संजर नवाज़, कोडरमा के डॉक्टर जावेद अख़्तर, बरही के तस्लीम अंसारी वगैरह शामिल थे।
इस सभा में मुख्य रूप से राँची के सुल्तान ज़ुबैर, सैफुल हक़,अर्शद कमाल,हाजी नवाब,ख़ालिद सैफुल्लाह, नदीम अख़्तर,मोहम्मद सलाहउद्दीन, शकील अहमद,नूर हसन लाल, सैय्यद नवाज़ पलामू, छतरपुर के बदरुद्दीन,शकील बिहारी,
मौलाना शकीलूर रहमान, रईस अख़्तर, लेस्लीगंज से मोहम्मद सलीम, जमशेदपुर से
एजाज़ अहमद,अज़ीज़ हसनैन,हजारीबाग के
मोहम्मद वारिस,डॉक्टर दारा शिको,गुलाम फरीदुद्दीन पेलावल,
तस्लीम अंसारी,मोहम्मद सेराज अंसारी,मजहरूल हक़,मोहम्मद रज़ा, मोहम्मद नईमुद्दीन, मोहम्मद इस्माईल,बरही से अब्दुल रशीद आदिल, बड़कागॉंव से नैयर इक़बाल,शहज़ाद आलम,
सोनू इराक़ी, जिला परिषद प्रतिनिधि मोहम्मद इब्राहिम मोहम्मद शहंशाह इचाक से मोख्तार आलम,साजिद,मोहम्मद सगीर,आराहुसै के
ज़ाकिर हुसैन,मंसूर खान, इंद्रपुरी
अधिवक्ता इज़हार हुसैन वगैरह लोग शामिल थे।
बैठक में धन्यवाद ज्ञापन सैफ़ अली ने किया।