शिक्षकों के सम्मान पर चोट, वेतनमान में भारी कटौती, उर्दू शिक्षक संघ ने नई नियुक्ति नियमावली को बताया अन्यायपूर्ण


3712 रिक्त उर्दू सहायक शिक्षक पदों पर शीघ्र बहाली की मांग, शिक्षकों के भविष्य पर खतरे की घंटी
गुणवत्तपूर्ण शिक्षा पर पड़ेगा इसका सीधा असर, सरकार को देना होगा ध्यान : अमीन अहमद

रांची, 13 जून, 2025,
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा जारी झारखंड प्रशिक्षित माध्यमिक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा – 2025 (विज्ञापन संख्या 02/2025 दिनांक 10/06/2025) के तहत नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। संघ ने कहा है कि यह विज्ञापन राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ करता है और राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा विभाग के माध्यम से एक सोची-समझी रणनीति के तहत टीजीटी ( ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) और पीजीटी ( पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) जैसे सम्मानित पदों को समाप्त कर रही है. इनके स्थान पर “माध्यमिक आचार्य” नामक नया पद सृजित किया गया है, जिसमें न केवल पदनाम बदला गया है, बल्कि वेतनमान में भी भारी कटौती की गई है।
पूर्व की तुलना में वेतन में बड़ी गिरावट
जहां पहले टीजीटी शिक्षकों को 4600 रुपये ग्रेड पे और 44,900 रुपये बेसिक वेतन मिलता था, वहीं पीजीटी शिक्षकों को 4800 रुपये ग्रेड पे और 47,600 रुपये बेसिक वेतन दिया जाता था। अब उसी श्रेणी के शिक्षकों को “माध्यमिक आचार्य” के नाम पर मात्र 4200 रुपये ग्रेड पे और 35,400 रुपये बेसिक वेतन पर नियुक्त किया जाएगा। अमीन अहमद ने कहा कि यह बदलाव शिक्षकों के आत्मसम्मान और मनोबल को तोड़ेगा और योग्य अभ्यर्थी इस पेशे से विमुख हो सकते हैं।
शिक्षकों पर कार्यभार बढ़ेगा, गुणवत्ता प्रभावित होगी
संघ का कहना है कि नई नियमावली के तहत एक ही शिक्षक को कक्षा 9 से 12 तक पढ़ाना होगा, जिससे शिक्षकों पर अनावश्यक कार्यभार बढ़ेगा। साथ ही, विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और प्राचार्य के पदों को समाप्त कर “संयुक्त प्रधानाचार्य” पद का प्रावधान किया गया है, जिसमें ग्रेड पे केवल 4800 रुपये रखा गया है, जबकि पूर्व में यह क्रमश: 5400 और 7600 रुपये था। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार शिक्षकों के प्रशासनिक पदों को भी कमतर आंक रही है।
केंद्रीय मानकों से भिन्न फैसला
संघ ने तर्क दिया कि जब केंद्रीय विद्यालय संगठन में अब भी टीजीटी और पीजीटी जैसे पद यथावत हैं, तो झारखंड में इन्हें क्यों समाप्त किया जा रहा है। यह क्या नई शिक्षा नीति 2020 के नाम पर शिक्षकों के शोषण की साजिश नहीं है।
3712 रिक्त पदों पर बहाली की मांग
संघ ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अविभाजित बिहार से झारखंड को योजना मद के तहत 4401 सहायक शिक्षक (उर्दू) के पद मिले थे, परंतु अब तक केवल 689 पदों पर ही नियुक्ति हो सकी है। जबकि 2023 में विभागीय संकल्प संख्या 259 द्वारा शेष 3712 पदों को गैर-योजना मद में स्थानांतरित किया जा चुका है। इसके बावजूद अब तक इन पदों पर बहाली नहीं हो सकी है. इससे हजारों योग्य अभ्यर्थी बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। संघ ने सरकार से आग्रह किया कि इन रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए।
शिक्षकों के भविष्य के साथ अन्याय
संघ के केंद्रीय प्रवक्ता शहज़ाद अनवर ने कहा कि शिक्षकों को कम वेतनमान देकर अपमानित किया जा रहा है, जो राज्य के शिक्षित युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने नई नियुक्ति नियमावली को वापस नहीं लिया और पूर्व की तरह टीजीटी व पीजीटी पदों की बहाली नहीं की, तो संघ राज्यभर में आंदोलन शुरू करने पर विवश होगा।
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से हस्तक्षेप की मांग
संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अपील की है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और नयी नियुक्ति नियमावली को रद्द कर शिक्षकों के सम्मान और शिक्षा व्यवस्था की गरिमा को पुनः स्थापित करें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो यह शिक्षा के स्तर को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।
