उर्दू टेट अभ्यर्थियों की काउंसलिंग अटकी, अंतिम सूची प्रकाशन पर अवरोध, मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग


इस गंभीर मामले पर जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो होगा व्यापक आंदोलन : उर्दू शिक्षक संघ
रांची, 23 सितम्बर, 2025,
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद के नेतृत्व में माननीय मुख्यमंत्री सहित संबंधित मंत्री एवं विभागीय पदाधिकारियों को मांग पत्र सौंपकर उर्दू टेट (6–8) सफल अभ्यर्थियों की काउंसलिंग और फाइनल सूची जारी करने में हो रही बाधा पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है।
संघ के महासचिव अमीन अहमद ने कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) ने आलिम और फ़ाज़िल की डिग्रियों को लेकर विधि विभाग से मंतव्य मांगा था, जिस पर विधि विभाग ने इसे असंवैधानिक बताया। उन्होंने इसे न केवल “ग़लत और भ्रामक” करार दिया, बल्कि कहा कि यह कदम अल्पसंख्यक समाज के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में ही झारखंड अधिविद्य परिषद (JAC) के ज्ञापन संख्या 3233/06, दिनांक 16.09.2006 के माध्यम से आलिम एवं फ़ाज़िल की डिग्रियों को मान्यता दी जा चुकी है। यह परीक्षाएँ झारखंड अधिविद्य परिषद, रांची द्वारा राज्य सरकार की देखरेख में कराई जाती हैं। इसके बावजूद सरकार के ही विधि विभाग द्वारा आपत्ति जताना विरोधाभास और दुर्भाग्यपूर्ण है।
ज्ञात हो कि इसके पूर्व झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग ने दिनांक 19.04.2023 के अपने अधिसूचना द्वारा स्नातक प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति आलिम और फाज़िल डिग्री धारी (झारखण्ड अधिविद्य परिषद से प्राप्त) अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर चुकी है।
अमीन अहमद ने कहा कि JSSC ने उर्दू टेट (6–8) सफल अभ्यर्थियों की पहली बार काउंसलिंग तो कराई, लेकिन अंतिम सूची जारी करने से रोक दिया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि “मौलवी परीक्षा के बाद स्नातक अनिवार्य है।” इस पर संघ का कहना है कि यह तर्क पूरी तरह निराधार एवं अनुचित है और 2006 की अधिसूचना का सरासर उल्लंघन करता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि “यह पूरा मामला अल्पसंख्यक समुदाय के योग्य अभ्यर्थियों को नियोजन से वंचित करने का प्रयास है, जो न्यायोचित नहीं है।”
संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि
- आलिम एवं फ़ाज़िल की डिग्रियों को झारखण्ड अधिविद्य परिषद द्वारा मान्यता देने वाली 2006 की अधिसूचना का पालन कराया जाए।
- काउंसलिंग के बाद शीघ्र फाइनल सूची प्रकाशित कर सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाए।
- विधि विभाग और JSSC द्वारा की गई असंवैधानिक व्याख्या को तत्काल वापस लिया जाए।
उक्त पुरे मामले पर संघ के केंद्रीय पदाधिकारियों में एनामुल हक़, शाहिद अनवर, मो० फखरुद्दीन, शहज़ाद अनवर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद एवं केंद्रीय प्रवक्ता शहज़ाद अनवर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस मामले पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो संघ आंदोलनात्मक रुख अपनाने को बाध्य होगा।
