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अपराध नियंत्रण में कम्युनिटी पुलिसिंग की भूमिका महत्वपूर्ण, बेहतर और सकारात्मक परिणाम के लिए पुलिस और समुदाय के बीच समन्वय जरूरी

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मिथिलेश कुमार सिंह

अपराध नियंत्रण में कम्युनिटी पुलिसिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह अपराधों में कमी लाने में काफी सहायक हो सकती है। पुलिस और समुदाय में समन्वय से काफी हद तक अपराध पर काबू पाया जा सकता है।
बढ़ते अपराध पर काबू पाना और विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक, सामाजिक-राजनीतिक समारोहों पर विधि-व्यवस्था संधारण पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है। कम्युनिटी पुलिसिंग के माध्यम से पुलिस उन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सकती है।
इस संबंध में समुदाय को अपराध की रोकथाम और सुरक्षा के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। इससे समुदाय के सदस्य पुलिस को अपराध और अपराधियों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं। कम्युनिटी पुलिसिंग पुलिस और समुदाय के बीच विश्वास निर्माण में मदद करती है, जिससे समुदाय पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए अधिक इच्छुक होता है।


‌ कम्युनिटी पुलिसिंग के माध्यम से पुलिस और समुदाय मिलकर निवारक कार्यवाही कर सकते हैं, जैसे कि क्षेत्र में नियमित गश्त और निगरानी करना। कम्युनिटी पुलिसिंग अपराध दर में कमी लाने में मदद कर सकती है, सामुदायिक सुरक्षा में सुधार करती है और समुदाय के सदस्यों को अधिक सुरक्षित महसूस कराती है।
इसलिए पुलिस विभाग को इस दिशा में भी प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। इससे अपराध दर में कमी आ सकती है। साथ ही इस प्रयास से सामुदायिक सुरक्षा में भी सुधार संभव है।

नक्सलवाद पर काबू पाने में भी सहायक है कम्युनिटी पुलिसिंग

कम्युनिटी पुलिसिंग नक्सलवाद पर काबू पाने में भी काफी सहायक साबित हो सकता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के विकास के लिए काम करना, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर प्रदान करना आदि प्रयासों से ग्रामीण युवाओं को समाज के मुख्य धारा में लाने में सफलता मिल सकती है।
स्थानीय लोगों को आर्थिक अवसर प्रदान करने से नक्सलवाद के प्रति आकर्षण कम हो सकता है। स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहित करने से बेहतर और सकारात्मक परिणाम संभव है।
कम्युनिटी पुलिसिंग के माध्यम से खासकर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में नक्सलवाद के बारे में जागरूकता अभियान चलाना और लोगों को इसके खतरों के बारे में बताया जाना चाहिए।
स्थानीय मीडिया का उपयोग करके नक्सलवाद के खिलाफ संदेश फैलाना, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाएं बनाना और उन्हें लागू करना, स्थानीय समुदाय को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल करना और उन्हें आवश्यक संसाधन प्रदान करना, नक्सलियों के लिए पुनर्वास कार्यक्रम चलाना और उन्हें समाज में पुनः एकीकृत करने में मदद करना, नक्सलवाद से संबंधित मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को तेजी से और पारदर्शी बनाना आदि
उपायों को लागू करने से नक्सलवाद पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
*(लेखक झारखंड के सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक हैं)

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