मात्स्यिकी महाविद्यालय के छात्रों का दस दिवसीय बायोइंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम का समापन


*मत्स्य पालन की आधुनिकतम तकनीकों से हुए अवगत, पतरातू डैम का किया भ्रमण
नौकरी लेने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनें : डॉ.एचएन द्विवेदी
रांची।
मत्स्य पालन के विभिन्न आयामों पर मात्स्यिकी महाविद्यालय, गुमला के 14 छात्रों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सोमवार को हुआ।
इस दौरान प्रशिक्षार्थियों ने मत्स्य किसान प्रशिक्षण केन्द्र, शालीमार, धुर्वा में रह कर प्रायोगिक कार्य किया तथा केज कल्चर, आरएएस, बायोफ्लाक, मोती पालन, फीड निर्माण आदि विषयों पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
साथ ही पतरातु डैम में केज कल्चर, आरा कोल पीट, मांडू में केज कल्चर, नगड़ी में बायोफ्लाक तालाब में मछली पालन का अवलोकन किया। प्रशिक्षणार्थियों को निदेशक(मत्स्य) डॉ.एचएन द्विवेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि जाॅब लेनेवाला नहीं, देने वाला बनिए। मछली पालन एक एसा कार्य है जो कुपोषण दूर करने के साथ लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर भी प्रदान करता है।
मौके पर निदेशक डॉ. द्विवेदी ने सफल प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी दिया। इस अवसर पर श्वेता कुमारी, सहायक प्राध्यापक मात्स्यिकी महाविद्यालय गुमला, अमरेन्द्र कुमार, उप मत्स्य निदेशक, मरियम मुर्मू, उप मत्स्य निदेशक (प्रशिक्षण), संजय गुप्ता, उप मत्स्य निदेशक मंजूश्री तिर्की मत्स्य प्रसार पदाधिकारी आशीष कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।
