होपवेल अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से मरीज का सफल ऑपरेशन
रांची में पहली बार कोलेडोकल सिस्ट ‘टाइप वन’ से पीड़ित मरीज की रू एंड वाई हेपाटिकोजेजुनोस्टोमी विधि से शल्य चिकित्सा
अनुभवी चिकित्सकों की टीम द्वारा एडवांस सर्जरी की सुविधाएं उपलब्ध: डॉ.शाहबाज आलम
रांची। राजधानी के कर्बला चौक के निकट नूर टावर स्थित होपवेल अस्पताल में उपलब्धियों के नित नए आयाम जुड़े रहे हैं। अस्पताल के व्यवस्थापक व शहर के जाने-माने सर्जन डॉ. शाहबाज आलम एवं उनकी टीम द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में अस्पताल निरंतर उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
इसमें एक और नया अध्याय जुड़ गया है। राजधानी रांची में पहली बार कोलेडोकल सिस्ट (टाइप वन, लीवर के नीचे वाले भाग में सूजन व संक्रमण) से पीड़ित एक मरीज की सफल सर्जरी रू एंड वाई हेपाटिकोजेजुनोस्टोमी विधि द्वारा की गई।
इस संबंध में डॉ. शाहबाज आलम ने शनिवार को प्रेस वार्ता में संवाददाताओं को बताया कि गोमिया निवासी 45 वर्षीय महिला सरस्वती देवी अपच, पेट में दर्द और गॉलब्लैडर में पथरी की शिकायत लेकर उनके पास पहुंची थी। इसके पूर्व वह अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों से भी संपर्क की थी। चिकित्सकों ने इन्हें ओपन सर्जरी करने की सलाह दी थी। इस बीच मरीज के परिजनों को राजधानी रांची के होपवेल अस्पताल के संचालक डॉक्टर शाहबाज आलम के पास संपर्क करने की सलाह दी गई।
तत्पश्चात मरीज के परिजन मरीज को लेकर होपवेल अस्पताल पहुंचे।मरीज को जौंडिस,फीवर, पेट दर्द आदि की शिकायत थी। डॉ. आलम ने संबंधित जांच कर उन्हें लेप्रोस्कोपिक विधि द्वारा गॉलब्लैडर से पथरी निकालने और कोलेडिकल सिस्ट को हटाने की सलाह दी।उन्होंने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज को लीवर के नीचे नली (सीबीडी) में संक्रमण फैल जाता है। नली में रुकावट हो जाती है। संक्रमण की वजह से मरीज को फीवर रहता है और पेट में भी असहनीय पीड़ा होती है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए ओपन सर्जरी द्वारा भी शल्य चिकित्सा की जा सकती है। लेकिन यह काफी चुनौती भरा होता है। उन्होंने मरीज को लेप्रोस्कोपिक विधि से शल्य चिकित्सा करने की सलाह दी।
उन्होंने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा पहली बार इस तरह की जटिल सर्जरी अपने अस्पताल में की और सफल रहे।
डॉ.आलम ने बताया कि अमूमन इस प्रकार की सर्जरी बड़े शहरों में की जाती है और इसमें तकरीबन 4 से 5 लाख रुपए खर्च आते हैं, लेकिन होपवेल अस्पताल में इस शल्य चिकित्सा के लिए मरीज को मात्र लगभग दो लाख रुपए खर्च करने पड़े। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। उसके शरीर के अंग अच्छी तरह काम कर रहे हैं।