शान ए हुसैन कॉन्फ्रेंस: औरतों का बन संवरकर कर्बला जाने पर रोक है: मौलाना चतुर्वेदी
मजलूम बनकर रहने से नाम हमेशा बाकी रहता है: मुफ्ती आबिद हुसैन
रांची। 19 जुलाई 2024 को बाद नमाज ए ईशा कांटा टोली कुरैशी मुहल्ला स्थित जामा मस्जिद के पास शान ए हुसैन कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया । इस आयोजन की अध्यक्षता जामा मस्जिद कुरैशी मुहल्ला कांटा टोली के खतीब ओ इमाम हज़रत मौलाना मंजूर हसन बरकाती ने की। इस मौके पर पीरे तरीकत हजरत अल्लामा मुफ्ती आबिद हुसैन नूरी किबला, चीफ काजी एदार ए शरीया झारखंड शैखुल हदीश , जामिया फैजुल उन्लुम जमशेदपुर, खतीब ए जिवाकार हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद सलाउद्दीन नेजामी प्रिंसिपल जामिया फैजुल उन्लुम जमशेदपुर, जीशान हजरत अल्लामा मौलाना अब्दुल हन्नान चतुर्वेदी नायब प्रिंसिपल जामिया फैजुल उन्लुम जमशेदपुर , नातखां अफरोज अंबर रांचवी सहित मकामी उलेमा ए एकराम मौजूद रहे।
शान ए हुसैन कांफ्रेंस में हज़रत इमाम हुसैन की शख्सियत और कर्बला से लेकर उनके शहादत तक संक्षिप्त में तकरीर की गई। करीब नौ बजे से लेकर रात्रि डेढ़ बजे तक खुले आसमां के नीचे हुसैन के मानने वाले अपनी कुर्सी पर ही डटे रहे । सभी उलेमाओं ने अपने अपने अंदाज में जिक्र ए शहादत पर तकरीर किए और सुनने वालों की आंखें भर आईं। हजरत अल्लामा मुफ्ती आबिद हुसैन नूरी किबला ने मजलूम की ताकत और ज़ालिम ताकतवर की कमजोरी को जुबान और दांतों से तुलना की, उन्होंने कहा कि तेज दांतों के बीच जुबान बेबस और कमजोर है लेकिन क़ब्र में जाते जाते तक दांत खत्म हो जायेंगे लेकिन जुबान सलामत रहेगी।इसी तरह से ज़ालिम का नाम खत्म हो जाता है और मजलूम का नाम हमेशा के लिए बाकी रहता है। ठीक इसी तरह से यजीद कबका खत्म हो गया और हमारे नवाशा ए रसुल हज़रत इमाम हुसैन रजि. कल भी जिंदा थे,आज भी और कयामत तक जिंदा रहेंगे। हजरत अल्लामा मौलाना अब्दुल हन्नान चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे इमाम ए हुसैन रजि. का मर्तबा पूछते हैं, कहते हैं कर्बला की जंग में पानी तक इंतेज़ाम नहीं कर पाये , तो सुन लो , जब हिंदुस्तान में ख्वाजा गरीब नवाज पूरा अना सागर को एक कटोरे में लाकर बता दिए कि देखो तुम्हारा अना सागर का पानी हमारे इस छोटे से कटोरे में समा गया है, तो हज़रत इमाम ए हुसैन रजि . तो ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के भी सरदारों के सरदार हैं। ख्वाजा गरीब नवाज को हिंदुस्तान में इस्लाम फैलना तो उन्होंने पानी को कटोरे में लाकर बता दिया कि यहां इस्लाम फैलाना है और कर्बला में दीन ए इस्लाम को बचाना था। उन्होंने महिलाओं को भी शख्स हिदायत दी है, कहा कि इमाम ए हुसैन शहीद हो गए हैं, लेकिन उनकी याद में बनाये गए इमाम बाड़ा और कर्बला में बन संवरकर महिलाओं का जाना सख्त मना है,ऐसा करने से खुद को रोके। अंत में हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद सलाउद्दीन निजामी ने भी तकरीर की। हर काम के पीछे कुछ न कुछ मकसद होता है, इब्राहिम खलील उल्लाह के कुर्बानी के पीछे भी कुछ मकसद है उसी तरह से इमाम ए हुसैन की कुर्बानी के पीछे भी मकसद है। ये मकसद है रज़ा ए इलाही, इसलिए बंदों को चाहिए कि हमेशा रज़ा ए इलाही चाहता रहे। इसके बाद सलात ओ अस्सलाम से आयोजन का समापन हो गया। तकरीर सुनने वालों में इमाम ओ खतीब मौलाना अब्दुस सलाम, झारखंड प्रदेश जमीयतुल कुरैश के प्रदेश अध्यक्ष मुजीब कुरैशी, जमीयतुल कुरैश पंचायत के पूर्व अध्यक्ष फिरोज करैशी, नौशाद कुरैशी,जाबीर कुरैशी , युनूस कुरैशी, तजमुल कुरैशी, मुस्तफा कुरैशी, मोइनुद्दीन कुरैशी, एकराम, तौफीक, गुड्डू, आफताब कुरैशी , जमीयतुल कुरैश पंचायत के उपाध्यक्ष अफरोज लड्डन, महासचिव परवेज़ कुरैशी, सोनू, फिरोज , अफरोज, अरशद कुरैशी, शमशेर कुरैशी, अजमल, शब्बीर, शहबाज,जमाल सहित और भी कई लोग मौजूद थे।