मत्स्य विभाग की संगोष्ठी आयोजित, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करने में मत्स्य पालन की महत्वपूर्ण भूमिका : सबिता महतो
*मत्स्य उत्पादन में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाएं: डॉ.एचएन द्विवेदी
पूर्वांचल सूर्य संवाददाता
रांची/सरायकेला-खरसावां। केज साईट, ईचागढ़ पुल के पास जिले के मत्स्य बीज उत्पादकों तथा मत्स्य पालकों के के लिए कार्यशाला सह संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ आयोजन किया गया। जिसमें कार्यशाला-सह-संगोष्ठी का आरंभ मुख्य अतिथि सबिता महतो, विधायक, ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र, कुमार रजत, सहायक समाहर्ता (प्रशिक्षु भाप्रसे), डॉ एचएन द्विवेदी, निदेशक मत्स्य, श्री जयर्वधन कुमार, अपर उपायुक्त, अजय कुमार तिर्की, परियोजना निदेशक, डीआरडीए एवं शम्भु प्रसाद यादव, उप मत्स्य निदेशक द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। विगत एक वर्ष में ईचागढ़ पुल के पास लोगों को केजों में मत्स्य पालन से जोड़ कर स्वरोजगार उपलब्ध कराने के मत्स्य विभाग के प्रयास की प्रशंसा की। निदेशक मत्स्य से जलाशय के अन्य स्थलों पर भी इस प्रकार से केज के प्रसार को किये जाने की आवश्यकता के बारे में अवगत कराया। वहीं , कुमार रजत द्वारा जिले से आए मत्स्य पालकों को मत्स्य पालन के क्षेत्र में नई तकनीक पर आधारित वैज्ञानिक तरीके से मत्स्य पालन किए जाने की आवश्यकता पर चर्चा की गई तथा मत्स्य पालकों को ई-प्लेटफार्म के माध्यम से मछली की बिक्री दुरस्त बाजारों में किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। डॉ एचएन द्विवेदी, निदेशक मत्स्य द्वारा सभी मत्स्य बीज उत्पादकों / मत्स्य पालकों से मत्स्य पालन के विभिन्न योजनाओं पर विस्तार में चर्चा की गई, किसानों को विज्ञानिक तरीके से मत्स्य पालन अपनाने हेतु प्रेरित किया। निदेशक मत्स्य द्वारा किसानों के कौशल विकास व प्रशिक्षण हेतु प्रेरित किया गया। मत्स्य पालकों को एनएफडीपी पर निबंधन हेतु प्रेरित किया। ताकि वे मत्स्य विभाग के योजनाओं का लाभ ले सकें। निदेशक मत्स्य द्वारा बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष में ईचागढ़ कल्स्टर के मत्स्य कृषकों को मोती पालन से जोड़ते हुए यहाँ एक एफएफपीओ का भी गठन किया जायेगा। निदेशक मत्स्य द्वारा जिले के मत्स्य बीज उत्पादकों एवं मत्स्य उत्पादकों को पंचायत स्तर पर मत्स्यजीवी सहयोग समिति का गठन किये जाने हेतु प्रेरित किया गया। अपर उपायुक्त द्वारा मत्स्य पालकों से परिचर्चा करते हुए केज के साथ-साथ मछली के प्रोसेसिंग की आवश्यकता एवं सरायकेला-खरसावाँ जिले में संभावनाएँ पर विस्तार में चर्चा की गई। श्री अजय तिर्की, परियोजना निदेशक, डीआरडीए द्वारा मत्स्य कृषकों से विस्तार में चर्चा की तथा केज में मत्स्य पालन पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे चाण्डिल जलाशय के अलावा अन्य जलाशयों में केज अधिष्ठापन के आवश्यकता पर बल दिया गया। कार्यक्रम में उपस्थित जिला पंचायाती राज पदाधिकारी, डीडीएम नाबार्ड, जिला खनन पदाधिकारी, जिला खेल पदाधिकारी, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, अविनाश कुमार, जिला सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी, उप परियोजना निदेशक (आत्मा), जेएसएलपीएस के बंसत कुमार एवं बुधन सिंह पुर्ती मोती पालक के द्वारा मत्स्य पालकों को संबोधित किया गया। कार्यशाला-सह-संगोष्ठी में जिले के सभी प्रखंडों से लगभग 300-350 मत्स्य बीज उत्पादक/मत्स्य पालक उपस्थित थे।
जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्राप्त लक्ष्य 27,500 मिट्रिक टन मत्स्य उत्पादन के विरूद्ध अभी तक 17,800 मि. टन मत्स्य उत्पादन किया गया है। यही सभी स्त्रोंतो से मत्स्य बीज उत्पादन लगभग 70 करोड़ 30 लाख है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले को 3 दिवसीय बीज उत्पादकों का प्रशिक्षण हेतु कुल 420 कृषको का लक्ष्य था जिसके विरूद्ध कुल 618 मत्स्य बीज उत्पादकों को प्रशिक्षण कराया एवं मत्स्य बीज उत्पादकों को प्राप्त लक्ष्य 11,100 लाख के विरुद्ध अभी तक कुल 9,520 लाख मत्स्य स्पॉन की आपूर्ति की गई तथा माह फरवरी से कॉमन कार्य का मत्स्य उपलब्ध कराया जायेगा। विगत एक वर्ष में ईचागढ़ पुल के केज साईट पर कुल 260 केजों व अविष्ठापन कराया गया तथा सभी केजो में मत्स्य उत्पादन कार्य प्रगति पर है। सभा में स्थानीय मुखिया राखोहरि सिंह मुंडा, ज्योति लाल मांझी, जिला परिषद् सदस्य, गोपाल सहादेव, शर पटले, राधाकृष्णा कैवर्त, सुर्यकान्त कैवर्त, विपिन कैवर्त, रामलाल कैवर्त, अनिल कुमार कैवर्त, विश्वजीत कैवर्त, विषमत कैवर्त, कमल कैवर्त,अर्जुन कैवर्त, श्याम कुमार कैवर्त, असित कुमार कैवर्त सहित अन्य मत्स्य कृषकगण उपस्थित थे।