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मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक आयोजित

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*झारखंड में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना सहित अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए केन्द्र सरकार से मांगा सहयोग

*झारखंड में मछली पालन की केंद्र संपोषित योजनाओं की गति संतोषप्रद : अबू बकर सिद्दीख पी.

रांची/कोलकाता। राजीव रंजन सिंह केन्द्रीय मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग तथा जाॅर्ज कुरियन,राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में कोलकाता, (पश्चिम बंगाल) में क्षेत्रीय समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई।


उक्त बैठक में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में झारखंड राज्य का प्रतिनिधित्व अबु बक्कर सिद्दीख पी. ,सचिव, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा किया गया। साथ ही निदेशक मत्स्य, डाॅ.एचएन द्विवेदी भी बैठक में उपस्थित थे।
बैठक में मत्स्य प्रक्षेत्र की केन्द्र सरकार की योजनाओं यथा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, एफआईडीएफ, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि-सह योजना आदि पर विस्तार से समीक्षा की गई।
झारखंड के विभागीय सचिव अबु बक्कर सिद्दीख पी. ने राज्य में मात्स्यिकी योजनाओं की प्रगति की जानकारी देते हुए आगे की कार्य योजना के निम्न बिन्दुओं पर केन्द्र सरकार/आईसीएआर-संस्थाओं एवं एनएफडीबी, हैदराबाद से सहयोग की अपेक्षा की गई।
हजारीबाग में आईसीएआर -सिफा के रिजनल सेंटर की स्थापना करने,
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक स्वीकृत परियोजनाओं के विरुद्ध नॉन स्टार्टर परियोजनाओं के प्रत्यार्पण प्रस्तावों को स्वीकार कर, परियोजनाओं को गति प्रदान करने हेतु मांग के अनुसार पुनः आवंटित करने,
राज्य में एक्वा पार्क एवं इंटीग्रेटेड रिजर्वायर डेवलपमेंट की योजनाओं के कार्यान्वयन की स्वीकृति प्रदान करने, राज्य में स्टेट आफ आर्ट के रुप में एक अत्याधुनिक एक्वेरियम हाउस की स्थापना हेतु भारत सरकार /आईसीएआर संस्थानों से परामर्श और विशेषज्ञ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया।
इसके अलावा कहा गया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एक वृहत योजना है। इसके कार्यान्वयन के साथ-साथ पर्यवेक्षण भी आवश्यक है। पर्यवेक्षण हेतु एसपीयू-डीपीयू यूनिट द्वारा कार्य किया जाता है। इस मद में झारखंड राज्य को उपलब्ध करायी गई राशि पर्याप्त नहीं है। इसलिए एसपीयू-डीपीयू का विस्तार वित्तीय वर्ष 2025-26 में करते हुए इस मद में पर्याप्त राशि उपलब्ध कराने की मांग की गई।
राज्य में उन्नत किस्म के मत्स्य बीज हेतु ब्रूड बैंक एवं माॅडर्न तकनीक के हैचरी अधिष्ठापन के साथ-साथ मछलियों के विपणन में प्रसंस्करण इकाई, मोती पालन में प्रयुक्त हेने वाले मसल्स एवं रंगीन मछलियों के ब्रूड बैंक हेतु भारत सरकार /आईसीएआर संस्थानों/एन एफडीबी, हैदराबाद से परामर्श और विशेषज्ञ सहयोग की आवश्यकता है।
राज्य में मोती पालन की विस्तृत कार्य योजना भारत सरकार को भेजी गई है, जिसमें विभिन्न स्तर पर किये जाने वाले मोती पालन के अनुरुप ही इकाई लागत प्रस्तावित है। भारत सरकार द्वारा मोती पालन की वर्तमान इकाई लागत में वृद्धि किया जाना अपेक्षित है।
कहा गया कि केज कल्चर में राज्य द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। केज से उत्पादित मछलियों के निर्यात में भी भारत सरकार से सहयोग अपेक्षित है।
वर्तमान में विभिन्न कम्पोनेंट्स हेतु निर्धारित इकाई दर को भी वर्तमान बाजार मूल्य के परिप्रेक्ष्य में बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

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