आजाद की 137वीं जयंती के अवसर पर माही द्वारा मदरसा इस्लामिया व चिश्तिया नगर के बच्चों के बीच स्वेटर वितरित


राँची, 11 नवंबर 2025:भारत रत्न एवं प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की 137वीं जयंती के अवसर पर, जो राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है, अंजुमन इस्लामिया के रहमानिया मुसाफिर खाना हॉल और कर्बला टैंक रोड स्थित चिश्तिया नगर फाउंडेशन में एक भावपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव (माही) के सदस्यों ने ठंड के मौसम को देखते हुए मादरसा इस्लामिया रांची एवं चिश्तिया नगर के जरूरत मंद स्कूली बच्चों के बीच स्वेटर वितरित किया गया। यह वितरण न केवल बच्चों को सर्दी से राहत प्रदान करने वाला था, बल्कि मौलाना आजाद के शिक्षा के प्रति समर्पण को स्मरण करने का माध्यम भी बना।

कार्यक्रम की शुरुआत मदरसा इस्लामिया राँची के कार्यकारिणी सदस्य एवं कन्वेनर साजिद उमर ने माही के सदस्यों का हार्दिक स्वागत करते हुए की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन मौलाना आजाद के आदर्शों को जीवंत करने का प्रयास है। माही के संयोजक इबरार अहमद ने संबोधन में कहा, भारत रत्न मौलाना आजाद ने अपनी राँची नजरबंदी के दौरान इस मादरसा का स्थापना किया था, जो उनके अपने हाथों से स्थापित राँची की एक ऐसी महान संस्था है, जिस पर सरकार को भी विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि नजरबंदी जैसे कठिनतम दिनों में भी मौलाना ने शिक्षा को प्राथमिकता दी और इसके लिए अपार कुर्बानियां दीं। उन्होंने अपनी पत्नी के जेवर, अपनी अखबार अल-बलाग और अल-हिलाल तक को बेचकर इसकी स्थापना में योगदान दिया।

इबरार अहमद ने मौलाना के इस नेक कार्य में राँची के अमनपसंद अहले-खैर, गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा दिए गए भरपूर साथ का भी जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की एक अनुपम मिसाल थी जिसे भुलाया नही जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, आज जरूरत है कि मौलाना के आदर्शों और शिक्षा के प्रति उनके संघर्षों को गति दी जाए, ताकि अज्ञानता का अंत हो और लोग ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

इस बीच, मिल्लत पंचायत पत्थलकुदवा के जावेद अहमद ने अपने संबोधन में आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “मौलाना की सोच को देखकर और जानकर बड़ी हैरानी होती है कि उन्होंने बिना किसी भेदभाव के शिक्षा को महत्व दिया। आज लोगों के पास संसाधनों की कमी नहीं है, फिर भी वे कौमी व मिल्ली फलाह के कामों के लिए उतनी सक्रियता नहीं दिखाते, जितनी दिखानी चाहिए।” उन्होंने मौलाना आजाद को एक मील का पत्थर बताते हुए कहा, “उन्होंने एक मील का पत्थर स्थापित किया, अब जरूरत है इसे और आगे बढ़ाने की। तब जाकर इस मुहिम का हक अदा किया जा सकेगा, वरना हम सिर्फ याद करके खुश होते रहेंगे और मकसद फौत हो जाएगा।”

कार्यक्रम में मादरसा के जिम्मेदारों के अलावा बच्चे, अंजुमन इस्लामिया राँची के कार्यकारिणी सदस्य शहजाद बबलू, इंजीनियर फारूक साहब, मोहम्मद राजन, चिश्तिया नगर के मोहम्मद इरफान, छोटू एवं मोहम्मद अख़्तर सहित अंजुमन के स्टाफ भी मौजूद रहे। यह आयोजन न केवल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि मौलाना आजाद के बलिदानों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का संकल्प भी लेता है। माही के सदस्यों ने वादा किया कि ऐसे प्रयास भविष्य में और विस्तार से जारी रहेंगे।








