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मुसलमानों को चरित्र निर्माण एवं तालीमी तरक्की पर केंद्रित होने की जरूरत : झारखण्ड अंजुमन

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जमशेदपुर: झारखण्ड अंजुमन की चौथी बैठक मानगो, जमशेदपुर स्थित होटल दी सेनेट के सभागार में आयोजित किया गया। बैठक की अध्यक्षता माही व साझा मंच के संयोजक इबरार अहमद ने किया, जबकि मंच संचालन माही के प्रवक्ता मुस्तक़ीम आलम ने किया। कार्यक्रम की शुरूवात मिन्नतुल्लाह रहमानी ने पवित्र क़ुरान की तेलवात से की एवं आगंतुकों का स्वागत जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता रियाज़ शरीफ़ ने की।


अपने अध्यक्षीय भाषण में इबरार अहमद ने कहा कि समाज के उत्थान में आपकी राय बहुत महत्वपूर्ण है और सभी के मशवरों पर विचार-विमर्ष कर सही फैसले पर पहुँचेंगे। ये झारखण्ड अंजुमन की राज्य में चौथी बैठक है और यही बात आपकी गंभीरता को दर्शाता है कि हम सभी समाज और क़ौम की तरक़्की के लिए व्यथित हैं और यही चिंता समाज के लिए प्रकाशपुंज साबित होगा। समाज मे छोटी-छोटी घटनाएँ घटित होती रहती है, लेकिन इससे हमें बेचैन नही होना चाहिए, मंज़िल तक पहुँचने के लिए कठिन रास्तों से गुजरना जरूरी है। लोग बाधाएं उत्पन्न करेंगे ताकि हम भटकाव के शिकार होकर हम अपने लक्ष्य को भूल बैठें। देश का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब समाज और समस्त समुदाय खुशहाल हो और इसके लिए जरूरी है कि हमारा समाज शिक्षित हो। हमारे दरमियान जो भी समस्यायें हैं, उसे चिन्हित कर निदान की दिशा में निरंतर बढ़ते रहें। कोई भी चुनाव हमारा रास्ता नही रोक सकती है, क्योंकि हमारा मिशन सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक उत्थान है। समाज का लक्ष्य होना चाहिए कि जो बच्चा ड्रॉपऑउट हो उसे भटकाव में न जाने दिया जाए और पुनः उसे स्कूल भेजने की व्यवस्था की जाए। समाज के विभिन्न वर्गों में चेतना एवं चिंतन पैदा करने के लिए अलग-अलग कोषांग का गठन किया जाए। नशाखोरी, आपराधिक गतिविधि किसी भी समाज के लिए कोढ़ है, इसलिए बच्चों को सही दिशा देने के लिए पुस्तकालय, कोचिंग सेंटर व अध्ययन कक्ष का इंतेज़ाम जिला स्तर पर किये जाने की जरूरत है और अगर इसके लिए मस्जिदों, ईदगाहों का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ी तो हम करेंगे। समाज के दूसरे समुदायों की तरह शिक्षा के क्षेत्र में हमारे बच्चें और बच्चियाँ तमामतर कठिनाइयों के बावजूद बेहतर परिणाम दे रही हैं और जरूरत इस बात की है कि हम उन्हें उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक साधन उपलब्ध करायें। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर बोलते हुए कहा कि इस देश मे जीने का संवैधानिक अधिकार सबको है और इसे हम लेकर रहेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता रियाज़ शरीफ़ ने अपने स्वागत भाषण में राज्य के कोने-कोने से आये हुए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि आपका यहाँ आना इस बात का सुबूत है कि समाज के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहते हैं। राज्य में पंचायत स्तर का सैकड़ों छोटी-छोटी अंजुमनें हैं जो अपने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी ख़िदमत निःस्वार्थ अंज़ाम देते आ रहे हैं, अब जरूरत है कि सभी तंजीमें या अंजुमनें एकजुट होकर मुत्ताहिदा प्लेटफॉर्म झारखण्ड अंजुमन में समाहित होकर एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करें ताकि झारखण्ड अंजुमन समुदाय में विभिन्न समस्याओं की निदान के लिए एक संवैधानिक सोच विकसित कर सके। हमारा सामुहिक प्रयास तभी सार्थक होगा जब हम अनेकता में एकता का प्रतीक बन सकें।


झारखण्ड अंजुमन के संयोजक एवं वरीय सामाजिक कार्यकर्ता जुनैद अनवर ने कहा कि हमारा लक्ष्य शिक्षा, सम्मान एवं सद्भावना है। ये दुर्भाग्य है कि पूरे राज्य में हमलोग मसलकी, बिरादरीवाद, सम्प्रदायवाद और क्षेत्रीयता के मामले में खंडित हैं। सामाजिक कुरीतियों ने हमारे भीतर घर बना लिया है और यही कारण है कि विकास के रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं, इसपर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। भले ही झारखण्ड अंजुमन ग़ैर सियासी है लेकिन सियासत से हमें परहेज़ नही है, जो लोग सियासी हैं वो अपनी-अपनी पार्टियों में रहकर लोगों के कल्याणकारी कार्य करें। उन्होंने कहा कि थानों में, सरकारी कार्यालयों में किसी समय दलितों व आदिवासियों को हिक़ारत की निगाह से देखा जाता था आज उसी हिक़ारत का शिकार देश्वयापी स्तर पर मुसलमान हैं। आज मुसलमान सियासत में शून्य पर है लेकिन सभी पार्टियों के केन्द्र में मुसलमान ही हैं। वोटों के धुर्वीकरण के लिए मुसलमान टार्गेट पर है जो असंवैधानिक और अनैतिक है। हमारे बीच तालीमी समस्या गम्भीर है यदि इसे दूर नही किया गया तो क़ौम अंधेरे में गुम ही जाएगा।
अंजुमन इस्लामिया राँची के महासचिव डॉक्टर तारिक़ हुसैन ने इस मौके पर कहा कि समाज मे सामाजिक वैमनस्य, असमानता और पारिवारिक कलह बढ़ रही है। हमारी सामाजिक जिम्मेदारियां बहुत बढ़ गयी है, इसके बावजूद भी समाज को सही राह दिखाना भी हमारा नैतिक कर्तव्य है तभी हम देश मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे। आजका युवा वर्ग सोशल मीडिया व मोबाइल के बुरे प्रभाव के असर में है, नशे में लिप्त है जिसे दूर करने की जिम्मेदारी की ज़िम्मेदारी समाज के प्रबुद्ध लोगों पर है। इस देश के 90 फीसदी लोग अमन व शांति वाले हैं, इसलिए हमें ऐसे न्यायप्रिय लोगों को साथ मे लेकर सामाजिक समरसता, सद्भावना व एकता को मजबूत करने की जरूरत है।


इस बैठक को कर्नल तौक़ीर मुंतखिब ने भी संबोधित किया और कहा कि हालात इतने बुरे नही है जितना हमे दिख रहा है या दिखाया जा रहा है। उन्होंने क्रिकेट की भाषा मे कहा कि हमारे सर पर बाउंसर समस्याओं के रूप में आ रहे हैं जिसे हमे हुक करना सीखना होगा तभी हम सामाजिक पिच पर टिके रहेंगे।
पूर्व डी०डी०सी० हसीब अख़्तर ने कहा कि शिक्षा बिना नैतिकता के अधूरा है। आज विश्व मे सम्मान की लड़ाई जारी है, हमारे सम्मान पर भी लगातार हमले ही रहे हैं। सम्मान की वापसी कैसे हो इसपर लगातार चिंतन करने की जरूरत है जिसके लिए शिक्षा अतिआवश्यक है। तालीमी व्यवस्था में आज बहुत टकराव है जिसे दूर करने की जरूरत है। तालीम के बिना हमारी ज़िंदगी अपंग है इसकी अनदेखी करना हमे अंधकार में ले जाएगा।
इसके इलावा अन्य वक्ताओं में हज़ारीबाग से इरफान अहमद, फ़िरोज ख़लीफ़ा, मोहम्मद गुलरेज़, चक्रधरपुर के अंजुमन के सदर एस०मंज़र, सचिव बैरम खान,चाईबासा अंजुमन से दानिश रज़ा, धनबाद से अधिवक्ता एजाज़ अंसारी, सिमडेगा के जावेद खान,जमशेदपुर से वाजिद अली, महबूब आलम, सरायकेला खरसांवा से मोहम्मद इरफ़ान, मौलाना इस्लाम क़ासमी, राँची से वरीय पत्रकार जिशान अहमद आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन अलकबीर ट्रस्ट के चेयरमैन डॉक्टर सलीम ने किया।

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