राजनीतिक फिजा में पेड न्यूज का चमत्कार, पेड आर्टिस्ट उतरे चुनावी मैदान में
रांची (गुलाम शाहिद):झारखंड में चुनावी घोषणा के साथ ही राजनीतिक फिजा में चुनावी रंग चड गया है. विधानसभा चुनाव के लिए मैदान सज रहे हैं. पार्टियों ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. पक्ष-विपक्ष के नेताओं के भाषण और मिजाज भी चुनावी हो गया है। वहीं जमीनी स्तर पर चुनाव की तैयारी भी शुरू है.मजबूत पकड़ का दावा किया जा रहा है. सभाओं के जरिये भीड़ बटोरकर उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश हो रही है. इसी क्रम में तमाम सियासी पार्टियों के साथ साथ एआईएमआईएम और कई छोटी छोटी पार्टियां भी चुनावी समर में डुबकी लगाने का मन बना लिया है।ऐसे में एआइएमआइएम पार्टी कार्यकर्ताओं की मनोबल भी खुब परवान चड रहा है। यह अलग बात है कि वह अभी सियासी पहचान नहीं रखता है। लेकीन पेड न्यूज की मदद से वह खुद को एक बड़ा लिडर समझता है।दरअसल, किसी भी पेड न्यूज का मकसद वोटर्स को गुमराह करना होता है। इससे पाठक को गलत सूचनाएँ प्राप्त होती हैं जिससे वह भ्रमित होता है। लिहाजा, किसी विशेष राजनीतिक दल या उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बनता है। पेड न्यूज़ में होता यह है कि पैसा लेकर उम्मीदवार के बारे में ख़बर छपती है कि जनसैलाब उमड़ा, फलाना ढिमकाना की चल रही है लहर। इसी पेड न्यूज में कई नाम उभर कर सामने आया है। जो हर रोज सोशल मीडिया में बयान दिया करते हैं। जिनका अपने मुहल्ला में पहचान तक नहीं है, वह भी बडे-बडे दावा करते हैं और 500 में कौम के रहनुमा बन जाते हैं जबकि उन्हें सरकार के कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी नहीं होती है। एक दो पोर्टल नेता जो अक्सर सोशल मीडिया में रहते हैं, मगर पहचान सिमित है। बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में ओवैसी की पार्टी ने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे नोटा के बराबर भी वोट नहीं मिले थे. एआईएमआईएम को केवल 1.16 प्रतिशत वोट ही मिल पाए थे. पार्टी की रैलियों में तो बहुत भीड़ उमड़ी थी लेकिन इस भीड़ ने उसके पक्ष में वोट नहीं डाला. इस पार्टी के विधायक तो चुनकर विधानसभा नहीं पहुंचे लेकिन उन्होंने विजेता और दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी के वोट जरूर काटे.यही हाल दूसरी पार्टियों की है। जो पेड आर्टिस्ट के तौर पर दो चार दस की भीड लेकर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत चमकाने उतरते हैं मगर उन्हे मुंह की खानी पड़ती है।