All India NewsBlogJharkhand NewsNewsRanchi JharkhandRanchi Jharkhand NewsRanchi News

मौलाना आजाद की स्मृति में मंत्री हफीजुल हसन दुर्लभ पुस्तक भेंट

Share the post

राँची, 12 नवंबर 2025: स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री और आजादी के प्रमुख सिपाहियों में शुमार मौलाना अबुल कलाम आजाद की अमर स्मृति को जीवंत करने के उद्देश्य से मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव “माही” के संयोजक इबरार अहमद, मौलाना तहज़ीबुल हसन व माही के प्रवक्ता मुस्तक़ीम आलम के द्वारा झारखण्ड सरकार के मंत्री हफीजुल हसन को दो दुर्लभ और ऐतिहासिक महत्व की पुस्तकें भेंट की गईं, जो मौलाना आजाद के जीवन, संघर्षों और विचारों को जीवंत रूप से उजागर करती हैं। ये पुस्तकें न केवल इतिहास के पन्नों को पलटती हैं, बल्कि वर्तमान पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायी दर्पण का कार्य करती हैं।


भेंटकर्ता इबरार अहमद ने गर्व से पुस्तकों का वर्णन किया। पहली पुस्तक ‘मौलाना आजाद की कहानी, उन्हीं की जबानी’ विख्यात लेखक और कवि अब्दुल रज्जाक मलिहाबादी द्वारा रचित है। यह पुस्तक मौलाना आजाद के स्वयं के शब्दों में उनके जीवन की घटनाओं को बयां करती है, जिसमें ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनके प्रारंभिक संघर्ष, ‘अल-हिलाल’ व ‘अल-बलाग’ पत्रिका के माध्यम से राष्ट्रवादी जागरण और स्वतंत्रता संग्राम की अनगिनत घटनाओं का जीवंत चित्रण है। मलिहाबादी की कलम ने इन घटनाओं को इतनी सहजता से उकेरा है कि पाठक स्वयं मौलाना आजाद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले लगते हैं।
दूसरी पुस्तक ‘मौलाना आजाद की जीवनी’ मोहम्मद मोहिउद्दीन द्वारा लिखित और हसीब अख्तर द्वारा संकलित है। यह एक व्यापक जीवनी है, जो मौलाना आजाद के जन्म से लेकर उनके निधन तक के सफर को विस्तार से चित्रित करती है। इसमें उनके धार्मिक विद्वान के रूप में उभरने, कांग्रेस के प्रमुख नेता बनने, विभाजन के दर्दनाक दौर में एकता की पैरवी और स्वतंत्र भारत में शिक्षा नीति के सूत्रदाता बनने की पूरी कथा समाहित है। पुस्तक में संकलित दस्तावेज, पत्राचार और समकालीन गवाहों के बयान इसे एक प्रामाणिक दस्तावेज बनाते हैं, जो इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य है।
मंत्री हफीजुल हसन ने इन पुस्तकों को ग्रहण करते हुए कहा, “यह मेरे लिए मात्र पुस्तकें नहीं, बल्कि एक अनुपम उपहार हैं। मौलाना आजाद जैसे महान व्यक्तित्व की ये रचनाएं हमें याद दिलाती हैं कि सच्ची नेतृत्व क्षमता क्या होती है।” उन्होंने आगे जोर देकर कहा, “आज की नई पीढ़ी को इन जीवनीयों से विशेष रूप से सीखना चाहिए। संसाधनों के संकट के समय में भी धैर्य धारण करना, नैतिक मूल्यों पर अडिग रहना और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अथक प्रयास करना—ये मौलाना आजाद के जीवन के मूल मंत्र हैं। विभाजन के उस खौफनाक दौर में भी उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता की मशाल जलाए रखी, जो आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है। हमें उनके आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना होगा।”
मंत्री ने भेंटकर्ता इबरार अहमद का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इबरार अहमद जी का यह प्रयास सराहनीय है। ऐसे कार्यों से ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर जीवित रहती है। मैं इन पुस्तकों को न केवल पढ़ूंगा, बल्कि अपने सहयोगियों और युवा कार्यकर्ताओं के बीच भी वितरित करूंगा, ताकि मौलाना आजाद का संदेश व्यापक रूप से फैले।”
इस समारोह में माही संगठन के प्रवक्ता मुस्तकीम आलम भी उपस्थित थे, जिन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, “मौलाना आजाद की विरासत को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। यह भेंट मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संवाद का प्रारंभ है।” जाफरिया मस्जिद के खतीब एवं प्रसिद्ध शिया आलिम मौलाना तहजीबुल हसन ने भी अपनी उपस्थिति से समारोह को गरिमामय बनाया। उन्होंने संक्षिप्त भाषण में मौलाना आजाद के इस्लामी विद्वान के रूप में योगदान पर प्रकाश डाला और कहा, “उनकी विद्वता ने न केवल धार्मिक एकता को मजबूत किया, बल्कि राष्ट्रीय एकीकरण की नींव भी रखी।”
यह केवल एक पुस्तक भेंट का अवसर मात्र नही था, बल्कि एक विचार मंथन का मंच भी सिद्ध हुआ, जहां मौलाना आजाद के सिद्धांतों—धैर्य, एकता और शिक्षा—पर विस्तृत चर्चा हुई।

Leave a Response