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शहीद शेख भिखारी सामाजिक शोध संस्थान एवं जमियातुल मोमिनिन के सौजन्य से शहीदों की जयंती का आयोजन

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मुजफ्फर हुसैन, संवाददाता,

राँची:- 2 अक्टूबर 2024 को शहीद शेख भिखारी सामाजिक शोध संस्थान और जमियातुल मोमिनिन के सहयोग से अमर शहीद शेख भिखारी, महात्मा गांधी, और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती समारोह का आयोजन निगार मैरिज हाल, मठटोली नयासराय में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिदिक अंसारी ने की, जबकि संचालन संस्थान के सचिव मुख्तार अंसारी ने किया। इस समारोह में प्रमुख वक्ता सकिल अंसारी, अकिल अंसारी, अतिक उर रहमान, और मो. समीर ने अपने विचार व्यक्त किए। सदर मास्टर सिदिक ने बताया कि शहीद शेख भिखारी का जन्म 2 अक्टूबर 1857 को ग्राम खुदिया, ओरमांझी प्रखंड में हुआ। वे राजा टिकैत उमाराव सिंह के दीवान, छोटानागपुर महाराज के फौजदार और बाद में बड़कागढ़ के राजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के सेनापति बने।


1857-58 के विद्रोह में शेख भिखारी, टिकैत उमाराव सिंह और विधवनाथ शाहदेव की जोड़ी ने अंग्रेजों को छोटानागपुर से खदेड़कर 6 महीने तक स्वतंत्र शासन स्थापित किया। किन्तु कुछ गद्दारों के कारण अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ा और 8 जनवरी 1858 को चुटुपालू घाटी में फांसी दी।

शहीद शेख भिखारी विश्वविद्यालय: समारोह के दौरान हेमंत सरकार से मांग की गई कि वे कोर कैपिटल एरिया में शहीद शेख भिखारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जमीन उपलब्ध कराएं।

आर्थिक सहायता: सकिल अंसारी ने कहा कि शहीद परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है, और उन्हें नौकरी और रोजगार प्रदान किया जाए। शहीदों को उचित सम्मान और पहचान मिले, और आदर्श ग्राम का शीघ्र निर्माण हो।

सड़क का नामकरण: सचिव मुख्तार अंसारी ने प्रस्तावित किया कि शहीद शेख भिखारी मीनार चौक से जगन्नाथपुर – नयासराय रिंग रोड तक का नाम शेख भिखारी पथ रखा जाए।

स्मारक निर्माण: राजधानी के प्रमुख चौराहों पर अमर शहीदों का स्मारक स्थापित किया जाए, प्रमुख सड़कें और भवनों के नाम अमर शहीदों के नाम पर रखे जाएं, और उनकी जीवनी पाठ्य पुस्तकों में प्रमुखता से पढ़ाई जाए।

प्रतिमाएँ: पुरानी जेल संग्रहालय में सभी अमर शहीदों की प्रतिमाएँ स्थापित की जाएं और जेएससीए क्रिकेट स्टेडियम का नाम शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नाम पर किया जाए।

इस जयंती समारोह का उद्देश्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनके बलिदान को याद करना था। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने इन मांगों को समर्थन दिया और शहीदों की विरासत को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।

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