माही का सराहनीय प्रयास: मदरसा छात्रों को वितरित किए स्वेटर, शिक्षा की राह में बाधाओं को किया दूर


रांची। मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव (माही) ने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए बुधवार को हुसिर, काँके स्थित मदरसा अरबिया तजवीदुल कुरान के 81 जरूरतमंद बच्चों के बीच स्वेटर वितरित किए। द काल्ड इज बोल्ड-एन इनिशिएटिव बाय माही योजना के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों ने प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेकर सही उत्तर देने पर पुरस्कार के रूप में गर्म स्वेटर प्राप्त किए। ठंडी के मौसम में यूनिफॉर्म और स्वेटर के अभाव से प्रभावित इन बच्चों के लिए यह कदम न केवल शारीरिक सुख-सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि उनकी पढ़ाई में स्थिरता भी लाएगा।

कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के पूर्व महाप्रबंधक (जीएम) श्री आलोक ने इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने कहा, “सीसीएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने हमेशा शिक्षा और सामाजिक विकास को प्राथमिकता दी है। माही का यह प्रयास न केवल ठंड के मौसम में बच्चों को राहत देगा, बल्कि शिक्षा के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। मैं अपील करता हूं कि कॉर्पोरेट जगत भी ऐसी पहलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले, ताकि झारखंड के हर कोने में शिक्षा की किरण पहुंच सके।” उनकी यह टिप्पणी कार्यक्रम को और अधिक प्रासंगिकता प्रदान करती नजर आई, क्योंकि सीसीएल ने अतीत में भी ग्रामीण शिक्षा परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

शिक्षा के क्षेत्र में
सामाजिक संगठनों की भूमिका को रेखांकित करते हुए माही ने जोर दिया कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में उचित शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसी पहलों की अनिवार्यता है। कार्यक्रम के दौरान हुसिर अंजुमन के अध्यक्ष सुलेमान अंसारी ने कहा, “समता और सामाजिक समानता के माध्यम से ही इन बच्चों को शैक्षणिक जीवन में स्थिरता मिलेगी। माही का यह प्रयास न केवल ड्रॉपआउट दर को रोकेगा, बल्कि बच्चों के भविष्य को संजीवनी प्रदान करेगा।” उन्होंने स्कूली और मदरसा यूनिफॉर्म की महत्ता पर भी प्रकाश डाला, जो बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करने वाली प्रमुख बाधा बन रहा है।
हुसिर अंजुमन के उपाध्यक्ष मोहम्मद शकील अंसारी ने माही की इस पहल का समर्थन करते हुए कहा, “हम सभी इस इनिशिएटिव को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि हर बच्चा शिक्षा का हकदार बन सके। समाज के हर वर्ग को इसमें योगदान देना होगा।”

माही के संयोजक एवं वक्फ बोर्ड झारखंड के सदस्य इबरार अहमद ने स्थानीय जिम्मेदारों को बधाई देते हुए भावुक होकर कहा, “जाड़े की सख्ती को इन बच्चों के हौसले ने मात दे दी। सुबह के ठंडे पहर में जब लोग चादरों में दुबके रहते हैं, तब ये नन्हे मुन्ने तालीम की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। उनकी उपस्थिति ही इसकी साक्षी है। इन बच्चों में असीम संभावनाएं छिपी हैं, जिसकी जिम्मेदारी हम सबकी है कि उनकी राह की रुकावटें दूर करें। तभी ये होनहार शिक्षा ग्रहण कर मुल्क-ओ-मिल्लत की तरक्की में योगदान दे सकेंगे।”
माही के सचिव मतीउर रहमान ने कार्यक्रम के व्यापक उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया, “हर साल मौलाना आजाद के *यौम-ए-पैदाइश (11 से 18 नवंबर) के अवसर पर हम *शिक्षा एवं सद्भावना अभियान* मनाते हैं। इस दौरान होर्डिंग, बैनर और स्टिकर के माध्यम से मौलाना के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाता है। विभिन्न स्कूलों में पेंटिंग, निबंध लेखन, स्पीच, क्विज प्रतियोगिताएं और शैक्षणिक-सांस्कृतिक मेलों का आयोजन होता है। ठंड के इस महीने में कई होनहार बच्चे स्वेटर, जूते और यूनिफॉर्म के अभाव में स्कूल छोड़ देते हैं। इसलिए प्रतियोगिताओं के जरिए इन सामग्रियों को पुरस्कार के रूप में वितरित किया जाता है। इस साल भी हमारा लक्ष्य 1000 जरूरतमंद विद्यार्थियों तक स्वेटर पहुंचाना है, जो इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा।” उन्होंने सभी संस्थाओं और कार्यकर्ताओं से अपील की कि बच्चों के सपनों को पंख दें।
कार्यक्रम में जिला परिषद सदस्य जमील अख्तर, सीसीएल के पूर्व जीएम आलोक जी, माही उपाध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह, अंजुमन इस्लामिया रांची के कार्यकारिणी शाहिद अख्तर टुकलू और मोहम्मद नजीब, हुसैन अंजुमन के सचिव मोहम्मद नसीम, उपसचिव नेसार अहमद, मोहम्मद मेराज, नाजिम-ए-मदरसा नैय्यर इकबाल, सदर मदरसा हाजी इलियास, सचिव मदरसा समीउल्लाह अंसारी, सदर सूरा कमिटी डॉक्टर अलीमुल्लाह, सचिव सूरा कमिटी अधिवक्ता मुश्ताक आलम, सदर नौजवान कमिटी अब्दुल कय्यूम अंसारी, सचिव सलामत अंसारी, सनौवर अंसारी, हाफिज अब्दुल हफीज, हाफिज अली इमाम, शहाबुद्दीन, कारी मोहम्मद जफर, हाफिज मोहम्मद अली, महमूद आलम, अबरार अंसारी, महफूज आलम सहित मदरसा के सैकड़ों बच्चे उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी प्रतीक बन गया।








