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झारखंड आंदोलनकारी महासभा ने किया मार्च, विस के समक्ष प्रदर्शन

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आंदोलनकारियों के कुर्बानियों से बना झारखंड, भेदभाव बर्दाश्त नहीं: राजू महतो

आंदोलनकारी के पुत्र होने का हक अदा करे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन: कयूम खान

आंदोलनकारियों को दो मान-सम्मान, नियोजन पेंशन व पहचान: अश्विनी कुजूर

रांची: झारखंड आंदोलनकारी महासभा के तत्वाधान में बुधवार को जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए मान-सम्मान पहचान नियोजन पेंशन सहित 11 सूत्री लंबित मांगों के समर्थन में बुधवार को रैली निकाल कर विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया गया। रैली से पूर्व बिरसा चौक पर स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात पुराने विधानसभा के समीप से आगाज किया गया। प्रतिमा पर माल्यार्पण करने वालों में केन्द्रीय अध्यक्ष राजू महतो, प्रधान महासचिव कयूम खान, महासचिव डॉ लाल अजय नाथ शाहदेव, वरीय उपाध्यक्ष अश्विनी कुजूर, सचिव अरूण कुमार दुबे, महिला संयोजिका विनिता खलखो, एरेन कच्छप, सीता उरांव, रूस्तम खान, दिनेश साहू आदि के द्वारा माल्यार्पण कर रेली प्रदर्शन का आगाज किया गया। मौके पर केन्द्रीय अध्यक्ष श्री महतो ने झारखंड आंदोलनकारियों का आह्वान किया कि अपने मान-सम्मान पहचान की लड़ाई के लिए गोलबंद हों। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के कारण ही राज्य की पहचान है। इस पहचान को संघर्ष के बल पर सुनिश्चित करनी होगी। वर्षों से प्रत्येक आंदोलनकारी अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं। श्री महतो ने कहा कि झारखंड बने 23 वर्षों बीत गए। इसके पश्चातभी जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी झारखंड आंदोलनकारियों को समान रूप से पहचान, सम्मान, नियोजन सहित 11 सूत्री मांगों पर संज्ञान नहीं लेना दुर्भाग्य की बात है। बार-बार अपने मान-सम्मान पहचान के लिए झारखंड आंदोलनकारियों को संघर्ष करना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कई बार मांग पत्र दिए गए, सर्वदलीय बैठक बुलाकर आंदोलनकारियों की समस्याओं का समाधान का अनुरोध किया गया, लेकिन आंदोलनकारियों के मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं की गई है। अांदोलनकारियों की धैर्य समाप्त हो चुकी है। अब झारखंड सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई होगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए केन्द्रीय प्रधान महासचिव कयूम खान ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी आज अपने अलग राज्य में परदेशी की भूमिका में जीवन यापन कर रहे हैं। यह सबसे दुखद स्थिति है। सत्ता में जो बैठे हैं, झारखंड आंदोलनकारियों के त्याग बलिदान और संघर्ष के बल पर हैं। वरीय उपाध्यक्ष अश्विनी कुजूर ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी की स्थिति आज हाशिए पर है। लगातार अपने मान-सम्मान की लड़ाई के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री झारखंड आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनशील बनें। आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप झारखंड अलग राज्य को गढ़ने का काम करें। संबोधित करने वालों में पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, महासभा के रांची जिला अध्यक्ष आसमान सूंडी, केन्द्रीय महासचिव डॉ अजय नाथ शाहदेव, शिवशंकर शर्मा, सचिव रूपलाल महतो, रामशंकर सिंह गंझू, लक्ष्मी देवी, कैलाश मोची, देवेंद्र मेहता, वरिष्ठ आंदोलनकारी लखन महतो, सरजीत मिर्धा, अरूण कुमार दुबे, सुखाड़ी मियां, विश्वनाथ राम, श्याम लाल सिंह, हसीना देवी, सावित्री देवी, असगर खान, आरीफ खान, वैद्यनाथ महतो, लोहरदगा जिला अध्यक्ष अमर किंडो, मंगलेश्वर उरांव, सिमडेगा जिला अध्यक्ष भुनेश्वर सेनापति, सुरेंद्र प्रसाद, विनिता खलखो, बालोमुनी बाखला, कालीचरण महतो, जाफर खान, सुखदेव उरांव, विद्याधर महतो, धनबाद जिला अध्यक्ष शिवशंकर शर्मा आदि शामिल थे। मौके पर एरेन कच्छप, रूस्तम खान, कालीचरण महतो, दिनेश साहू, सीता देवी, छत्रपति महतो, फागू महतो, सुरेश कुमार महतो, सुधांशु शेखर, स्वानंद कोटवार, जितेन्द्र नाथ महतो, कुमार महतो समेत बड़ी संख्या में झारखंड आंदोलनकारी मौजूद थे। प्रदर्शन के उपरांत झारखंड आंदोलनकारी महासभा ने राजू महतो अध्यक्ष), वरीय अश्वनी कुजूर (उपाध्यक्ष), कयूम खान (प्रधान महासचिव), बिनिता खलखो, सचिव रूपलाल महतो, द्वारा हस्ताक्षर युक्त 11 सूत्री मांग पत्र झारखण्ड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम एसडीएम दीपक दुबे जी को सौपा गया।

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