बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर??बटेंगे तो यूंही संडास में मुंह डाल कर यात्रा करेंगें
नेताओं का काम जनता को मूल मुद्दों से भटका कर उन्हें आपस में जाती धर्म के नाम पर लड़ाना, एक समुदाय के प्रति दूसरे समुदाय में भय और निराधार ख़ौफ, डर का माहौल पैदा करना होता है। ये जनता को देखना और समझना चाहिए कि हमारे मूल मुद्दे क्या हैं? मुझे किन मुद्दों पर वोट करना चाहिए? क्या वास्तव में नेताओं की बातों और पार्टियों के दावों में भरोसा करना चाहिए ?
जब तक आप मूल मुद्दों को छोड़ कर जाति और धर्म के नाम पर एक समुदाय को निचा दिखाने के लिए वोट करते रहेंगे आप और आपकी नस्लें यूं ही यात्रा करती रहेगी, हम में से हर एक को हर महीने हर साल यात्राएं करनी ही पड़ती है, हम अपने बच्चों को उच्च और बेहतर शिक्षा के लिए मेट्रो शहरों में भेजते हैं, हमें खुद भी और बच्चों यानी पढ़ने लिखने वाले छात्रों को तो अक्सर ही यात्रा करना पड़ता है।क्या आप चाहते हैं आपके हमारे बच्चे पैसा खर्च करने के बाद भी ऐसी यात्रा करने को विवश हों? आज हर दिन लगभग कोई न कोई रेल दुर्घटना हो रही है, सड़क हादसों की तो खैर गिनती की ही नहीं जा सकती।
इन हादसों में मरने वाले आम लोग यानी वोटर्स होते हैं, कभी किसी नेता या उसके संबंधियों की मौत इस तरह के रेल या सड़क हादसों में नहीं होती, क्योंकि वह इन आम परिवहन के साधनों का प्रयोग करते ही नहीं, और चूंकि नेता या उनके संबंधी कभी आम लोगों को जिंदगी जीते नहीं इसलिए उन्हें आम लोगों की तकलीफ/उनकी पीड़ा और परेशानियों का भी ज्ञान नहीं होता, और गर किसी को होता भी है, तो कुर्सी मिल जाने के बाद अगले पांच सालों तक किसी को इसकी कोई परवाह भी नहीं होती। नेता चाहते ही हैं कि जनता की एक बड़ी संख्या अशिक्षित रहे, बेरोजगार रहे क्योंकि गर लोग शिक्षित होंगे तो वह शासक से सरकारों से सवाल करेगी, वह मुद्दों की बात करेगी और फिर किसी एक निकम्मी सरकार का फिर से कुर्सी पर आना संभव न होगा, जब लोग बेरोजगार होंगे, विशेष कर नवयुवक, तब वह चंद पैसों के लिए पार्टियों का झंडा ढोने, जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगाने के, और चुनाव के समय मोटरसाइकिल रैलियों में शामिल होने को उपलब्ध होंगे। जब नवयुवक बेरोजगार होंगे तब वह चंद रुपयों के लिए नेताओं के इशारों पर हुड़दंग करने, अशांति फैलाने और विपक्षी नेताओं के साथ साथ उन लोगों को भी जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं, सरकार की विफलता और कमियों की बात करते हैं उन्हें इंटरनेट पर भद्दी भद्दी गालियां देने को तैयार होंगें।
याद रखें अशिक्षा बेरोजगारी को जन्म देती है और बेरोजगारी अपने साथ अपराध लेकर आती है। जब समाज में बेरोजगारी बढ़ती है तब समाज का अपराधीकरण होता है समाज में अपराध और अपराधी बढ़ते हैं।और ये अपराधी भी हमारे आपके यानी आम आदमी के बच्चे या रिश्तेदार होते हैं, फिर इनके अपराध का शिकार भी आम लोग हो होते हैं। देश या प्रदेश की स्थिति कोई एक दो दिनों में और दो चार लोग नहीं बदल सकते, इसके लिए सामूहिक जागरूकता और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
अपना विचार बदलें, बेहतर कल और उज्ज्वल भविष्य के लिए वोट करें।
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नकीब अहमद
सामाजिक कार्यकर्ता
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