गुरुजी के संघर्ष और उनका झारखंड राज्य के प्रति समर्पण भुलाया नहीं जा सकता


दुनियां में आने वाले हर उस जानदार को मौत आनी है पर कुछ समाज मे ऐसे व्यक्ति आते हैं जो कुछ कर जाते हैं और हमेशा के लिए मनमस्तिक के कैनवास में समां जाते हैं जन्मे हर इन्सान को मौत का स्वाद चखना है कुछ ऐसे लोग जिनकी जीवन शैली समाज के प्रति समर्पित रही उनमे से एक नाम झारखंड के जन नायक दिशुम गुरु श्री शिबू सोरेन जी का जाना हम सब के लिए आपूर्णिये छति है

वहीं दूसरी ओर पत्रकारिता के जगत में अपनी लेखनी से समाज को आइना दिखाने वाले कलम के योद्धाओं में से एक श्री हरी नारायण सिंह का जाना पत्रकारिता की दुनियां में ही नही समाजिक रूप से उनकी भागीदार साम्प्रदयिक सौहार्द के प्रति उनका समर्पण राजनीति की परिपक्ता हरि नारायण जी का जीवन उनकेअनुभावों,संघर्षों,और उनके उपलब्धियों का एक प्ररेणा दायक विवरण है वहीं दिशुम गुरु अपने युवा काल से ही संघर्षों,और चुनोतियों का वह सामना करते हुए राजनीति के छेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी झारखंड अलग राज्य उनके नेतवृत और संघर्ष से ही हमें प्राप्त हुआ जल,जंगल जमीन से लेकर गुरुजी के संघर्ष और उनका झारखंड राज्य के प्रति समर्पण रहती दुनिया तक भुलाया नहीं जा सकता है

एक राजनीतिक नायक का हम सबके बीच से जाना काफी कष्ट दायक है पूरा देश उनकी इस संघर्ष को नहीं भूल सकता उन्होंने देश विदेश में झारखंड को एक नई पहचान दी है हम उनके प्रति अपनी श्रद्धाजाली अर्पित करते हुए उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।
अकिलुर्रमान
महा सचिव सेंट्रल मोहर्रम कमिटी राँची

