झारखण्ड में टूरिज्म डेवलपमेंट के लिए सरकार प्रतिबद्ध-पर्यटन निदेशक
चैंबर की पहल-‘कॉफी एैट चैंबर‘ की दूसरी कडी का आयोजन
झारखण्ड में टूरिज्म डेवलपमेंट के लिए सरकार प्रतिबद्ध-पर्यटन निदेशक
फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज की पहल ‘कॉफी एैट चैंबर‘ कार्यक्रम की दूसरी कडी में चैंबर भवन में पर्यटन निदेशक अंजली यादव के साथ राज्य में टूरिज्म डेवलपमेंट के मुद्दे पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन चैंबर के उपाध्यक्ष राहुल साबू और ज्योति कुमारी ने किया। उन्होंने स्टेकहोल्डर्स की ओर से टूरिज्म डायरेक्टर से बारी-बारी से प्रश्न भी पूछे जिसका उन्होंने संतोषप्रद जवाब दिया।
उपाध्यक्ष राहुल साबू और ज्योति कुमारी ने टूरिज्म क्षेत्र में निवेशकों के लिए सरकार के स्तर से विशेष वित्तीय सहायता के प्रावधान, पर्यटन विकास में स्थानीय स्टेकहोल्डर्स की सहभागिता, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं को विकसित करने के लिए सरकार की नीतियां, चुनौतियां और योजनाएं, पर्यटन विकास के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ देने के सरकार की योजनाएं, हस्तशिल्प, हथकरघा, आदिवासी उत्पादों को बढावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाये जानेवाले कदम, हरित पर्यटन को बढावा देने की दिशा में प्रयास, पर्यटन स्थलों तक बेहतर कनेक्टिविटी और इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थलों को बढावा देने के लिए सरकार की योजनाएं, पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की सुरक्षा और संरक्षा, पर्यटन मेला के आयोजन की जानकारी, व्यापारियों/ऑपरेटर्स और पर्यटकों के सुझाव, शिकायत साझा करने के लिए सरकार के पास फीडबैक तंत्र की उपलब्धता तथा पर्यटन निर्णयों से संबंधित समितियों में चैंबर ऑफ कॉमर्स की सहभागिता से जुडे प्रश्न किये।
चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने टूरिज्म डेवलपमेंट के माध्यम से आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के मुद्दे पर अपने विचार साझा किये। यह कहा कि प्रदेश में मौजूद धार्मिक धरोहरों के अलावा ऐतिहासिक धरोहरों को यदि विकसित कर दिया जाय तो यहां के लोग आत्मनिर्भर होंगे। इससे पलायन तो रूकेगा ही रोजगार के अवसर भी बडे स्तर पर सृजित होंगे। सरकार और विभाग को इस दिशा में बेहतर सोच के साथ बढते हुए काम करना चाहिए। ताकि राज्य के हर जिलों, क्षेत्रों से पलायन को रोका जा सके। साथ ही उन्होंने राज्य के टूरिज्म डेवलपमेंट के निर्णयों से संबंधित समितियों में चैंबर ऑफ कॉमर्स की सहभागिता पर विचार की बात भी कही। महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने कहा कि प्रदेश में इको टूरिज्म के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। हरे भरे जंगल, जलप्रपात, समृद्ध वन्य जीव नेचर वाक, जंगल सफारी, रॉक क्लाइंबिंग आदि झारखण्ड को इको-टूरिज्म के विकास के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है।
विभागीय निदेशक अंजली यादव ने पीपीटी के माध्यम से झारखण्ड के पर्यटन स्थलों के विकास हेतु विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। यह कहा कि पर्यटन विकास के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने झारखण्ड टूरिज्म नीति के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि आनेवाले दिनों में पर्यटन से रोजगार के अवसर सृजित करने और राजस्व में बढोत्तरी करने के विजन के साथ झारखण्ड पर्यटन के क्षेत्र में बदलाव का वाहक बनेगा। उन्होंने पर्यटन विभाग के सहयोग से राज्य के युवाओं को रोजगार दिलाने के कौशल प्रषिक्षण के अंतर्गत दिये जा रहे टूर गाइड, ट्रैवल एजेंट जैसे प्रशिक्षणों की भी चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश भर में पर्यटक सुविधा केंद्र विकसित करने की भी योजना पर्यटन नीति में समाहित है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि महामारी की स्थितियों से निपटने के उपरांत प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पर्यटन स्थलों का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है ताकि नई पीढ़ी तकनीक के माध्यम से यहां की खूबसूरती देखे। पर्यटकों की सुविधा हेतु खूंटी, नेतरहाट और धनबाद में बजट होटल भी बनाये जा रहे हैं जिसका संचालन पीपीपी मोड पर किया जायेगा। मसानजोर, मैथन, तिलैया और धुर्वा डैम में सरकार द्वारा स्वयं के खर्च से बोट्स की आपूर्ति की गई है, इसके संचालन और मेंटेनेंस हेतु विभाग द्वारा जल्द ही एजेंसी का चयन किया जायेगा। यह जनवरी में चालू हो जायेगा। हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में संलग्न ऑपरेटर्स स्वयं को विभाग की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड करायें। उन्होंने रूरल होम-स्टे के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार से जोडने की सरकार की योजनाओं से भी अवगत कराया।
झारखण्ड पर्यटन का प्रचार-प्रसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा एमबेंसी के माध्यम से इंटरनेशनल कांफ्रेंस में झारखण्ड टूरिज्म को प्रमोट कराये जाने की बात भी विभागीय निदेशक ने कही। विभाग द्वारा इस वर्ष पतरातू में एक दिन का कांफ्रेंस भी कराया जायेगा जिसमें देश-विदेश के ट्रैवल एजेंट एसोसियेशन, आपॅरेटर्स इत्यादि शामिल होंगे। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने खूंटी स्थित अमरेश्वरधाम और चुटिया स्थित 108 फीट शिवलिंग मंदिर के पास बेसिक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए भी उन्होंने आश्वस्त किया। जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थल के पास धर्मावलंबियों को सुविधा देने के एक सदस्य के आग्रह पर पर्यटन निदेशक ने कहा कि पारसनाथ के लिए फंड की कोई कमी नहीं है, वहां केवल सेंसिटीव इश्यू के कारण कार्य नहीं हो पा रहे हैं। विभाग द्वारा पिछले वर्ष प्रयास किया जा रहा था किंतु उस स्थल को टूरिस्ट स्थल के रूप में डेवलप करने और टूरिज्म प्रमोशन की बात करते हुए विरोध के बाद कार्य स्थगित कर दिया गया था। धर्मावलंबियों की सुविधा हेतु पुनः विभाग द्वारा नेशनल बॉडी के समन्वय से प्रयासों को गति दी जायेगी।
पूर्व अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने अशोका होटल के रीवाइवल की बात कहते हुए यह सुझाया कि सरकार जो भी प्रॉपर्टी डेवलप करे, उसका संचालन पीपीपी मोड पर करे, जिसपर पर्यटन निदेशक ने सहमति जताई। उन्होंने यह भी कहा कि कई जगहों पर लैंड लीज में भी उपलब्ध कराई जा रही है। यह भी अवगत कराया कि टूरिज्म प्रमोशन के उद्देश्य से विभाग द्वारा जनवरी माह में एक सप्ताह तक स्काई डाइविंग फेस्टिवल का आयोजन भी सब्सिडाईज्ड दर पर किया जा रहा है। जनवरी माह में ही नेतरहाट में इको-रिट्रिट का आयोजन भी किये जाने की योजना है। सभा के बीच में ही ओरमांझी में निर्माणाधीन विश्वस्तरीय इको-रिसॉर्ट का वीडियो भी चैंबर द्वारा दिखाया गया जिसकी प्रशंसा करते हुए पर्यटन निदेशक ने इसे राज्य के विकास में सहायक बताया। यह कहा कि केंद्र के इस्टर्न जोन की बैठकें होनी है, जिसका झारखण्ड होस्ट स्टेट है। ओरमांझी में एक अतिरिक्त रिसॉर्ट के निर्माण से बैठकों के आयोजन में सुविधा होगी। चैंबर के सह सचिव विकास विजयवर्गीय ने विभागीय टेंडर्स में स्थानीय उद्यमियों की सहभागिता के लिए टेंडर्स को चैंबर के साथ साझा करने, कार्यकारिणी सदस्य डॉ0 अभिषेक रामाधीन ने मेडिकल टूरिज्म को बढावा देने, अमित शर्मा द्वारा टूरिज्म नीति के माध्यम से निवेशकों को मिलनेवाली सुविधा तथा शैलेष अग्रवाल ने फैम ट्रिप के आयोजन में झारखण्ड चैंबर की सहभागिता पर अपने विचार साझा किये।
झारखण्ड सरकार द्वारा पूर्व में किये गये मोमेंटम झारखण्ड के प्रयास को विफल बताते हुए पूर्व अध्यक्ष विनय अग्रवाल ने कहा कि इसका प्रमुख कारण सरकार द्वारा इस कार्यक्रम में स्थानीय स्टेकहोल्डर्स को शामिल नहीं करना ही है। क्योंकि कोई भी क्वेरी लोकल तर्ज पर ही होती है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड टूरिज्म के प्रमोशन में सरकार को स्थानीय उद्यमियों को सहभागी बनाने पर विचार करना हितकर होगा। यह भी सुझाया कि माननीय मुख्यमंत्री, टूरिज्म मंत्री और संबंधित स्थानीय उद्यमियों के संयुक्त वीडियो बनाकर विभाग द्वारा आओ हमारे झारखण्ड में टूरिज्म प्रमोशन का वीडियो रिलीज किया जाय, इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, जिसपर विभागीय निदेशक ने सहमति जताई।
सभा के अंत में उप समिति चेयरमेन सोनी मेहता और पूनम आनंद ने शॉल देकर और कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से मोमेंटो देकर टूरिज्म डायरेक्टर अंजली यादव का अभिवादन किया। सभा का धन्यवाद ज्ञापन महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने किया।