किसी की मदद मजहब, जात, बिरादरी, पूछ कर ना करो: मौलाना तहजीबुल हसन


हज़रत अली की शहादत की याद में निकलेगा मातमी जुलूस
रांची: मस्जिद जाफरिया रांची में आयोजित तीन दिवसीय मजलीसे ग़म को संबोधित करते हुए हज़रत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिज़वी ने कहा कि हजरत अली का एक ऐसा गुलिस्तान है कि जिस गुलिस्तान में इमामत के रंग बिरंगे फूल नजर आते हैं। और इस फूल की खुशबू के बगैर इस्लाम की खुशबू महसूस नहीं की जा सकती।

हजरत अली की जात ने जहां रूहानियत का इलाज किया वहीं जिस्मानी इलाज भि किया। हजरत अली की खिदमत में एक शख्स आया और कहने लगा की या अली मैं तीन दिन से बीमार हूं और फकीर हूं,जाहील और नादान हूं। मौला अली ने फरमाया जिस्मानी बीमारी के लिए डॉक्टर्स के पास जाओ, गरीबी दूर करने के लिए किसी अमीर के पास जाओ, जाहिल और नादानी दूर करने के लिए किसी आलिम के पास जाओ। उसने कहा है मौला आप तो तबीब भी हैं करीम भी हैं आलिम भी हैं। मौला ने उसको 3 हजार दिरहम दिए और फरमाया 1 हजार दिरहम से अपना इलाज करो, 1 हजार दिरहम से अपनी गरीबी दूर करो, और 1 हजार दिरहम से शिक्षा हासिल करो। हजरत अली के इस अमल से पता चलता है कि अगर एक इंसान चाहे तो दूसरे इंसान की सारी मुसीबत को दूर कर सकता है। हजरत अली ने फरमाया के किसी की मदद मजहब, जात, बिरादरी, पूछ कर ना करो।

इससे अल्लाह पाक नाराज हो जाता है। मजलिस आरंभ तिलावत कलाम पाक से किया गया। सोजखानी सैयद अता इमाम रिजवी ने की, पेश खानी अमोद अब्बास, यावर हुसैन गाजीपुरी, यूनुस रजा, निहाल हुसैन सरियावी ने किया। मस्जिद परिसर या अली की सदाओं से गूंज उठा। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मेंहदी इमाम और जफरुल हसन द्वारा किया जाता है। इस कार्यक्रम का आयोजन अंजुमन ए जाफरिया के तत्वाधान में किया गया।

नोट: शुक्रवार की रात दस बजे मस्जिद जाफरिया परिसर से हज़रत अली की शहादत की याद में मातमी जुलूस निकलेगा। जो मस्जिद से निकलर विक्रांत चौक, कर्बला चौक होते हुए कर्बला पर जाकर संपन्न होगा।
