मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का होर्डिंग हटाना आदिवासियों का बड़ा अपमान


झारखण्ड की राजधानी रांची में जेसीए के स्टेडियम से मैच से पहले झारखण्ड के मुख्यमंत्री मानियीय हेमंत सोरेन का होर्डिंग हटाना आदिवासियों का बड़ा अपमान।
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के JCA ग्राउंड में 30 नवंबर को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ। इस मैच के लिए झारखंड सरकार ने स्टेडियम के अंदर विज्ञापन के लिए निर्धारित स्पेस को विधिवत खरीदा था और वहां राज्य की विकास योजनाओं से जुड़े होर्डिंग लगाए गए थे, जिनमें मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन की तस्वीर भी शामिल थी।
लेकिन मैच शुरू होने से ठीक पहले BCCI के निर्देश पर मुख्यमंत्री की तस्वीर वाले सभी होर्डिंग स्टेडियम से हटवा दिए गए। इसके पीछे नियमों का हवाला दिया गया, लेकिन जिस तरह अचानक और बिना पूर्व सूचना के यह कार्रवाई हुई, उसने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
देश के कई स्टेडियमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पवेलियन, स्टैंड और गेट मौजूद हैं, फिर एक आदिवासी मुख्यमंत्री की तस्वीर पर आपत्ति क्यों? क्या यह केवल नियमों का मामला है या इसके पीछे कोई राजनीतिक मंशा भी है? यह सवाल अब आम जनता के बीच खुलकर उठ रहा है।
BCCI के चेयरमैन देश के गृह मंत्री के बेटे हैं। ऐसे में यह शंका और गहरी हो जाती है कि कहीं यह निर्णय किसी सोची-समझी रणनीति के तहत तो नहीं लिया गया। अगर नियम ही सर्वोपरि हैं, तो वे सबके लिए समान क्यों नहीं दिखते।
इस कदम के बाद पूरे झारखंड में तीखी बहस छिड़ गई है। आदिवासी समाज में गुस्सा है, मेरा मानना है है की BCCI की यह कदम राज्य सरकार और विशेष रूप से एक आदिवासी मुख्यमंत्री का अपमान बताया है। मेरा कहना है कि झारखंड का गठन ही आदिवासियों के अधिकार और सम्मान के लिए हुआ था, और आज उसी राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री की तस्वीर हटाई जा रही है।
लगभग तीन करोड़ की आबादी वाला यह राज्य अपने मुख्यमंत्री के साथ हुए इस व्यवहार से आहत और नाराज है। यह केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे झारखंड और यहां के आदिवासी समाज और उसकी अस्मिता का अपमान है।
इस मामले में राज्य सरकार, आदिवासी संगठनों और नागरिक समाज की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है और बीसीसीईआई से स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है। जनता पूछ रही है कि आखिर झारखंड के साथ यह भेदभाव क्यों और कब तक?








