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वक्फ एक्ट में संशोधन असंवैधानिक है वापस ले केन्द्र सरकार: एस अली

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रांची: केन्द्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन कर बनायें गए वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को वापस लेने की मांग लेकर ऑल मुस्लिम यूथ एशोसिएशन के द्वारा राजभवन के समक्ष महाधरना दिया गया जिसमें रांची जिला के सभी प्रखंडों के अंजुमन, समाजिक संगठन के अलावा इदार ए शरिया, इमारत ए शरिया, जमीयत ए उलमा हिंद, सेन्ट्रल अंजुमन कांके, प्रखंड अंजुमन रातू, अंजुमन इस्लामिया मांडर, ऑल झारखंड एकता मंच, साहेर अंजुमन नगड़ी, मोमिन चौरासी पंचायत रांची के अलावा कई समाजिक संगठन के प्रतिनिधि एवं हजारों लोग तख्ती लेकर शामिल हुए।


उपस्थित लोगों ने वक्फ संशोधित अधिनियम 2025 वापस लेने की मांग और केन्द्र सरकार के तानाशाही रवैए के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया।
महाधरना के नेतृत्व कर रहे आमया संगठन के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि मुस्लिम समुदाय मशवरा किए बिना और जेपीएस को दिए सुझाव को शामिल किए बिना बहुमत के दुरूपयोग कर वक्फ एक्ट 2025 बनाया गया है जो भारतीय मुसलमानों के धार्मिक स्वायत्तता और मौलिक अधिकार को समाप्त करता है।

देश एवं झारखंड में जो वक्फ कि सम्पति है उनमें से अधिकतर मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, कब्रिस्तान, मजार, खानकाह, मकबरा, मुसाफिरखाना है इसके आलाव दुकान-मकान, संस्थान व खेत खलिहान है, जो हमारे पूर्वज द्वारा अपनी नीजि जमीन/सम्पति को इस्लामिक परम्परा के अनुसार वक्फ (दान) कर स्थापित किया गया है।


बहुत सी जमीनों को राजा महाराजा, नवाब, जमींदार, ओहदार द्वारा भी दिया गया इनमें मौखिक और सादे कागज में भी वक्फ (दान) किया गया है जिसका उपयोग धार्मिक कार्य के तौर पर होते है।


केन्द्रीय सरकार को लगता था कि
वक्फ सम्पतियों में कब्जा, अतिक्रमण, मनमानी है और आमदनी नही है जिससे गरीब और जरूरतमंद को लाभ नही मिल रहा है तो वक्फ एक्ट 1995 में बिना संशोधन के भी सुधार कर सकते था।
संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है।


वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप होगा जबकि हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड और सिख धार्मिक बोर्ड व अन्य धर्म के बोर्ड में उनके धर्म के मानने वाले सदस्य होगें।

सभा को डां असगर मिस्बाही, नाजिम ए आला कुतुबुद्दीन रिज़वी, शहर काजी मौलान सुहैब , मौलान तल्हा नदवी,
वरीय अधिवक्ता मुख्तार खान,
दिपू सिन्हा, प्रवीण पीटर,


शाकिल प्रवेज, रजा उल्लाह अंसारी, अजहर खान, पप्पू गद्दी,
नुरूला नदवी, अताउल्लाह अंसारी, मुन्तजिर अहमद, अशफाक खान, इरशाद इमाम, जहीर मंसूरी, हफीज जान मोहम्मद, मौलान सफीउल्लाह,


जियाउद्दीन अंसारी, मो फुरकान, नौशाद आलम, इकबाल खान, लतीफ आलम, सबदुल मल्लिक, गुफरान अंसारी, शाहिद अफरोज, इमरान अंसारी, एकराम हुसैन, इस्मे आजम, अब्दुल गफ्फार, आफताब आलम, जावेद अंसारी, औरंगजेब आलम, साजिद उमर, मोदस्सिर अहरार, मौलान फजलूल कदीर , अब्दुल मजीद, अंजुम खान, तहमीद अंसारी सहित हजारों लोग शामिल थे।

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