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इक्फाई विश्वविद्यालय में मनाया गया राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, अंतरराष्ट्रीय हैकाथाॅन सहित विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित

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विजयी प्रतिभागियों को किया गया पुरस्कृत, बीआईटी मेसरा की टीम को प्रथम एवं सरला बिरला की टीम को मिला द्वितीय पुरस्कार


वर्तमान पीढ़ी के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया है विज्ञान : प्रो.(डॉ.) रंजीत सिंह

विशेष संवाददाता

रांची। इक्फाई विश्वविद्यालय, झारखंड ने दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को स्वीकार करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया। इस दौरान गुरुवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय में अंतरराज्यीय हैकथॉन, कम्प्यूटेशनल क्विज, निबंध लेखन और विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।


हैकथॉन प्रतियोगिता का आयोजन और उद्घाटन 27 फरवरी को किया गया था, जिसमें झारखंड के विभिन्न संस्थानों बीआईटी मेसरा (लालपुर), आरकेडीएफ विश्वविद्यालय, सरला-बिड़ला विश्वविद्यालय एवं इक्फाई विश्वविद्यालय सहित दस टीमों ने भाग लिया था। बीआईटी मेसरा (लालपुर) की ‘टीच वल्चर्स’ पहले स्थान पर रही और पांच हजार रुपये का नकद पुरस्कार जीता।
वहीं, सरला बिड़ला यूनिवर्सिटी की ‘रेएल्यू’ टीम दूसरे स्थान पर रही और तीन हजार रुपये का नकद पुरस्कार जीता,। इक्फ़ाई यूनिवर्सिटी झारखंड की ‘ज़ाम्बोट’ टीम तीसरे स्थान पर रही और दो हजार रुपये का नकद पुरस्कार जीता।

इसके अलावा कई और छात्रों ने क्विज़, विज्ञान प्रदर्शनी और निबंध प्रतियोगिता जैसे विभिन्न कार्यक्रमों में पुरस्कार जीते।
इस अवसर के मुख्य अतिथि, प्रोफेसर (डॉ.) रणजीत सिंह, पूर्व-कुलपति, कोल्हान विश्वविद्यालय ने ‘कैसे विज्ञान वर्तमान पीढ़ी का अनिवार्य हिस्सा बन गया है’ को खूबसूरती से समझाया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक एवं गैर-वैज्ञानिक किसी भी समस्या का समाधान खोजने की संभावना शून्य और एक के बीच होती है,न कि शून्य से नीचे । इसके अतिरिक्त, उन्होंने छात्रों को समुदाय और राष्ट्र की सेवा के लिए जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित किया।

हैकथॉन के महत्व को समझाते हुए, प्रोफेसर (डॉ.) निधि, आईईईई, रांची, झारखंड ने कहा, “हैकथॉन नवाचार को बढ़ावा देने और हमारे सामने आने वाली जटिल चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा और सुरक्षा डोमेन एक अत्यधिक विशिष्ट क्षेत्र है, जहां निर्णायक अनगिनत समाधान की आवश्यकता होती है और यह नवाचार और सहयोग की मांग करता है।
इक्फ़ाई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) रमन कुमार झा ने कहा कि इस दिन का उद्देश्य सीवी रमन के योगदान को पहचानना है। रमन, एक प्रसिद्ध भारतीय भौतिक विज्ञानी, जिन्हें “रमन प्रभाव” की खोज के लिए जाना जाता है। भौतिकी में अपने व्यापक अनुभव (30 वर्षों से अधिक) में, उन्होंने इस बात की शानदार व्याख्या की कि वर्ष 2050 में जब ‘क्वांटम भौतिकी’ बदल जाएगी तो जीवन कैसे बदल जाएगा। हमारे जीने के तरीके से लेकर हमारे काम करने के तरीके तक सब कुछ।
इक्फ़ाई विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, प्रो. (डॉ.) जे.बी. पटनायक ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. मिथिलेश कुमार मिश्रा, सहायक डीन, इक्फ़ाई टेक स्कूल, और संकाय सदस्यों ऋषि, डॉ. काशी, अमर गुप्ता, प्रमोद, डॉ. समीर, बादल, डॉ.अभय द्वारा संचालन किया गया।

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