कॉरपोरेट पुनरुद्धार और व्यापारिक विश्वासः भारत के कानूनी परिवर्तन से पहले के प्रमुख विषय


रांची, झारखंड । 2 दिसंबर 2025:
AU Corporate Advisory and Legal Services (AUCL) के संस्थापक श्री अक्षत खेतान ने रांची स्थित रेडिसन ब्लू होटल में मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत के विकसित हो रहे कानूनी इकोसिस्टम की उस महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जो संकटग्रस्त व्यवसायों के समर्थन, कॉरपोरेट गवर्नेस की मजबूती और बदलते आर्थिक वातावरण में निवेशकों के विश्वास को पुनर्स्थापित करने में निर्णायक बनता जा रहा है।

इंटरएक्टिव सत्र के दौरान, श्री खेतान ने जोर देकर कहा कि पिछले दशक में भारत के दिवालियापन, कॉरपोरेट गवर्नेस और नियामक ढांचे में उल्लेखनीय परिपक्वता आई है, जिसने व्यापार पुनरुद्धार के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समय पर कानूनी हस्तक्षेप, बोर्ड-स्तरीय जवाबदेही, पारदर्शी प्रक्रियाएँ और नैतिक निर्णय प्रक्रिया अब पूरे कॉरपोरेट क्षेत्र में विश्वास बहाल करने के लिए अनिवार्य हो गई हैं।

MSME क्षेत्र की चुनौतियाँ और समाधान
MSME क्षेत्र पर ध्यान आकर्षित करते हुए, श्री खेतान ने बताया कि यद्यपि MSMEs भारत के औद्योगिक और रोजगार ढांचे की रीढ़ हैं, फिर भी वे सीमित ऋण उपलब्धता, भुगतान में देरी, कमजोर पुनर्गठन व्यवस्था और कम कानूनी जागरूकता जैसी लगातार चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई MSMEs का संचालन विफलता के कारण नहीं, बल्कि समय पर कानूनी मार्गदर्शन न मिलने और वित्तीय संकट से निपटने के लिए संस्थागत समर्थन की कमी के कारण बंद हो जाता है। उन्होंने कहा कि MSME कानूनी इकोसिस्टम को मजबूत करना व्यवसायिक निरंतरता सुनिश्चित करने और आर्थिक प्रगति को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
बैंकों को ‘रिकवरी’ नहीं ‘रिवाइवल’ मानसिकता अपनानी चाहिए
वित्तीय संस्थानों के दृष्टिकोण पर बोलते हुए, श्री खेतान ने बैंकों में “रिकवरी-ड्रिवन” मॉडल से बाहर निकलकर “रिवाइवल-ओरिएंटेड” सोच अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आक्रामक रिकवरी कदम, विशेषकर समय से पहले कानूनी प्रवर्तन, अक्सर ऐसे उद्यमों को बंद होने की ओर धकेल देते हैं जिनमें दीर्घकालिक क्षमता होती है। इससे रोजगार का नुकसान होता है और आर्थिक मूल्य नष्ट हो जाता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि पुनर्गठन, एकमुश्त निपटान (OTS), मध्यस्थता-आधारित वार्ताएं और चरणबद्ध पुनर्भुगतान मॉडल जैसे समाधान हज़ारों व्यवसायों को बचा सकते हैं, साथ ही ऋणदाताओं के हितों की भी रक्षा कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “रिकवरी नहीं, रिवाइवल विशेषकर MSMEs के लिए नया सिद्धांत होना चाहिए।”
AUCL के नवाचार और भारत का उभरता पुनरुद्धार इकोसिस्टम
श्री खेतान ने AUCL द्वारा विकसित कई अभिनव पुनरुद्धार और पुनर्गठन समाधानों के बारे में जानकारी साझा की। इनमें शामिल हैं: सेक्टर-विशिष्ट रिवाइवल रणनीतियाँ, MSME-केंद्रित कानूनी टूलकिट, कस्टमाइज्ड एडजस्टेड डेब्ट-रिज़ॉल्यूशन मॉडल, AI-संचालित वित्तीय जोखिम विश्लेषण, गवर्नेस एन्हांसमेंट फ्रेमवर्क इन समाधानों को AUCL की मजबूत लिटिगेशन और एडवाइजरी क्षमताओं के साथ एकीकृत किया गया है, ताकि न केवल संकटग्रस्त व्यवसायों को स्थिर किया जा सके, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी बढ़ाया जा सके और दीर्घकालिक आर्थिक मूल्य निर्मित हो सके।
इस दौरान श्री खेतान ने कहा, “कॉरपोरेट रिवाइवल केवल वित्तीय सुधार नहीं है; यह पारदर्शिता, जवाबदेही और रणनीतिक कानूनी अंतर्दृष्टि के माध्यम से विश्वास को पुनर्निर्मित करने की प्रक्रिया है। एक मजबूत कानूनी ढांचा सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय संकटों पर काबू पा सकें, निवेश आकर्षित कर सकें और देश की सतत आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकें।”
सत्र मीडिया के साथ बातचीत और रात्रिभोज के साथ संपन्न हुआ, जिसमें AUCL ने विशेषकर MSMEs को कानूनी उपकरण, जागरूकता और सलाह प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, ताकि वे जटिल चुनौतियों के बीच अपने संचालन को पुनर्जीवित कर सकें और भारत के आर्थिक विकास में सार्थक योगदान दे सकें।
AUCL के बारे में
मुंबई के प्रतिष्ठित नरीमन पॉइंट में स्थित AUCL कॉरपोरेट और कानूनी सलाहकारी क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम है। फर्म की सेवाओं में शामिल हैं कॉरपोरेट रणनीति, मर्जर एवं अधिग्रहण, वित्तीय सलाह, डेब्ट सिंडिकेशन, इनसॉल्वेंसी मैनेजमेंट और लिटिगेशन।
AUCL कॉरपोरेट फ्रॉड, व्हाइट-कॉलर क्राइम, बैंकिंग विवाद, कराधान, संकटग्रस्त ऋण और विवाद समाधान जैसे जटिल मामलों पर भी सलाह देती है। फर्म की विशेष सेवाओं में डिजिटल फॉरेंसिक्स, साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक ऑडिट, एंटरप्राइज रिस्क मैनेजमेंट और बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग शामिल हैं।








