मौलाना आजाद के तालीमी मिशन को आगे बढ़ाने की जरूरत:लतीफ आलम


राँची:महान स्वतंत्रता सेनानी एवं आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को जब अंग्रेजी हुकूमत ने बंगाल से जिलाबदर कर दिया था तब 1916 से 1919 तक तकरीबन चार साल तक वो रांची में नज़रबंद रहे। इस दौरान उन्होंने रांची के मुसलमानों की शिक्षा में पिछड़ेपन को देखते हुए मदरसा इस्लामिया राँची और अंजुमन इस्लामिया की स्थापना की। मौलाना आजाद अपनी नजरबंदी के दौरान अपर बाजार स्थित जामा मस्जिद में बयान किया करते थे। उनकी तकरीर सुनने मुस्लिम के साथ गैर मुस्लिम भी आया करते थे। मौलाना आजाद जब देश के शिक्षा मंत्री बने तो आधुनिक शिक्षा की बुनियाद डाली। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। शिक्षा के क्षेत्र में अंजुमन इस्लामिया को लोग बहुत उम्मीद के नजर से देखते है, और कुछ सालों में बहुत सारे लोगों का सरकारी नौकरी कर रहे है अलग अलग फील्ड में खास कर के टीचर में सरकारी नौकरी कर रहे है अंजुमन इस्लामिया से पढ़ाई कर के
आज हम सब को मिलकर मौलाना आजाद के मिशन को आगे बढ़ाने की जरूरत है तभी देश की तरक्की समाज की तरक्की और अंजुमन इस्लामिया रांची तरक्की होगा,








