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घाटशिला उपचुनाव दो विचारधाराओं का महायुद्ध: जुनैद अनवर

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झमूमो के केंद्रीय सदस्य जुनैद अनवर का घाटशीला विधान सभा में तूफानी दौरा कई सभाओं को संबोधित किया
झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्यासी के पक्छ में जनसभा को सम्बोधित करते हुवे उन्होंने कहा की यह उप चुनाव केवल घाटशिला का, नहीं बल्कि पूरे झारखंड का भविष्य तय करेगा। घाटशिला उपचुनाव—यह कोई साधारण चुनाव नहीं है। यह झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो ) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच दो विचारधाराओं की महायुद्ध है। एक तरफ आदिवासी मूल वासी दलित अक़्लीयतों के अधिकारों, स्थानीय संस्कृति और जनकल्याण की रक्षा करने वाली झामुमो की विचारधारा, तो दूसरी तरफ केंद्रीकृत शासन, विकास के नाम पर शोषण और बाहरी हितों की भाजपा की राजनीति। इस लड़ाई को हम गहराई से समझें और देखें कि इसकी जड़ें झारखंड की मिट्टी से कैसे जुड़ी हैं।तो हम सब कुछ आसानी से समझ सकते है
झामुमो ने रामदास सोरेन जी के बेटे सोमेश चंद्र सोरेन को मैदान में उतारा है, जो रामदास जी की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रतीक हैं। वहीं, भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को नामित किया है, जो पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे हैं। लेकिन सवाल यह है—क्या यह सिर्फ सोरेन परिवारों की लड़ाई है? नहीं! यह विचारधाराओं का संघर्ष है। झामुमो की विचारधारा झारखंड की आत्मा है। यह पार्टी आदिवासी स्वायत्तता, भूमि अधिकार और स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण की बात करती है। याद कीजिए, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने ‘मैयां सम्मान योजना’ जैसी क्रांतिकारी पहल की, जिससे लाखों महिलाओं को सम्मानजनक जीवन मिला। हमारी सरकार ने आदिवासी संस्कृति को संरक्षित किया है, सरना कोड को मान्यता दी है और झामुमो कहती है—झारखंड का जल , जंगल, जमीन झारखंडियों की है! यह विचारधारा समावेशी विकास की है, जहां आदिवासी मूल वासी दलित अक़्लीयत युवा नौकरियों में प्राथमिकता पाते हैं, न कि दिल्ली की लॉबी के हित साधे जाते हैं। दूसरी ओर, भाजपा की विचारधारा क्या है? यह विकास का मुखौटा लगाकर आदिवासी हितों का शोषण करने वाली राजनीति है। वे घाटशिला में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठा रहे हैं, जबकि यह सीट सीमा से सैकड़ों किलोमीटर दूर है। यह महज डर फैलाने का हथकंडा है, ताकि आदिवासियों को बांटा जा सके।देश में जिन जिन राज्यों में भाजपा की सरकार बनी हर जगह आदिवासी मूलवासी दलित अक़्लीयतों को निसाना बनाया गया इन्हे डराया गया भाजपा की केंद्रीय नीतियां—जैसे NRC, CAA—आदिवासी पहचान को धुंधला करने वाली हैं। एवं एक पिछड़े समाज को दूसरे से लड़ाने की साजिश है माननीय गुरु जी ने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जिसकी कल्पना भी चंपई सोरेन ने नहीं किया होगा लेकिन गुरु जी के और पार्टी के पीठ में चंपई सोरेन ने खंजर मारने का काम किया इस लिए मैं घाटशीला कि जानता को मैं कहना चाहता हूँ की जो व्यक्ति राज्य के सबसे बड़े पद पर बैठाने वाले का नहीं हुवा वह भला ग़रीब झारखंड वासियों का क्या होगा सच्चाई यह है कि भाजपा की सरकार में आदिवासी युवाओं की बेरोजगारी बढ़ी, महिलाओं पर अत्याचार चरम पर पहुंचा। वे कहते हैं ‘परिवर्तन चाहिए’, लेकिन उनका परिवर्तन तो सिर्फ कॉरपोरेट्स के लिए है—खनन लाइसेंस बांटना, जंगल काटना! घाटशिला के आदिवासी जानते हैं कि भाजपा का ‘विकास’ उनके लिए विनाश ही लाता है।
यह चुनाव सिर्फ एक सीट का नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा बचाने का है। भाजपा ने यहाँ कुकुरमुत्ता की तरह स्टार प्रचारकों को उतार रक्खा है लेकिन उन्हें मालूम नहीं के झारखंड के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन जैसे योद्धा काफ़ी है श्री अनवर ने कहा यह उप चुनाव झामुमो बड़े अंतराल से जीते गा

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