शिक्षा विभाग का नया फैसला शिक्षकों के भविष्य पर संकट, झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने जताई गहरी नाराजगी


4339 रिक्त पदों पर नियुक्ति की बजाय वेतन और पदनाम में कटौती को बताया अन्यायपूर्ण निर्णय
3712 सहायक शिक्षक के पदों को प्रत्यर्पण किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण
शिक्षकों का मनोबल टूटेगा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पड़ेगा असर : अमीन अहमद
राँची, 25/07/2025,
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने हाल ही में राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ ने सरकार पर शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने और शिक्षित बेरोजगारों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है।
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद ने बताया कि झारखंड को बिहार से विभाजन के समय योजना मद के तहत 4401 उर्दू सहायक शिक्षक पद प्राप्त हुए थे। 2014-15 में मात्र 689 पदों पर ही बहाली हो सकी। संघ के प्रयासों से 2023 में विभागीय संकल्प संख्या 259 (दिनांक 24/02/2023) के तहत शेष पदों को गैर योजना मद में स्थानांतरित कर दिया गया. बावजूद इसके, अब तक शेष 3712 पदों पर बहाली नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि इन पदों को समाप्त कर नया पद ‘सहायक आचार्य’ सृजित करना न केवल बेरोजगारों के साथ अन्याय है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं को भी समाप्त करने जैसा है।
सरकार से मांग : पुरानी व्यवस्था बहाल हो
संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद ने कहा कि कैबिनेट द्वारा उर्दू सहायक शिक्षकों के पद को सहायक आचार्य में बदलने और वेतनमान में कटौती के निर्णय से शिक्षकों के आत्मसम्मान और राज्य की शिक्षा व्यवस्था दोनों पर सीधा प्रहार हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय शिक्षित युवाओं के साथ धोखा है। अब तक शिक्षकों की नियुक्ति टीजीटी और पीजीटी पदों पर होती थी, जिनका वेतन क्रमशः 4600/- ग्रेड पे व 44,900/- बेसिक, और 4800/- ग्रेड पे व 47,600/- बेसिक था। परंतु सरकार अब इन्हीं पदों को समाप्त कर माध्यमिक आचार्य व सहायक आचार्य पद सृजित कर रही है।
अमीन अहमद ने सवाल उठाया कि जब केंद्रीय विद्यालयों में अब भी टीजीटी और पीजीटी पद अस्तित्व में हैं, तो झारखंड में इन्हें क्यों समाप्त किया जा रहा है। क्या यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नाम पर शिक्षकों का शोषण करने की कोशिश नहीं है।
कार्यभार में वृद्धि, सम्मान में गिरावट
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि नई नियमावली के तहत एक ही शिक्षक को 9वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाएगी, जिससे शिक्षकों पर अनावश्यक कार्यभार बढ़ेगा। साथ ही विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और प्राचार्य जैसे पदों को मिलाकर एक साझा प्रधानाचार्य पद बनाया गया है, जिसका वेतन पहले की तुलना में काफी कम निर्धारित किया गया है. पहले इन पदों को क्रमशः 5400/- और 7600/- ग्रेड पे मिलता था, जो अब घटकर सिर्फ 4800/- रह गया है।
संघ ने झारखंड सरकार से मांग की है कि इस गलत नियोजन नीति और कैबिनेट के फैसले को तुरंत वापस लिया जाए। साथ ही पूर्व की भांति टीजीटी और पीजीटी पदों की बहाली सुनिश्चित कर शिक्षकों को उनका उचित वेतनमान प्रदान किया जाए।
संघ के केंद्रीय प्रवक्ता शहज़ाद अनवर ने यह स्पष्ट किया कि जल्द ही मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मिलकर इस विषय को गंभीरता से उठाया जाएगा और अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन का रास्ता भी अपनाया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- टीजीटी और पीजीटी पदों को खत्म कर ‘माध्यमिक वो सहायक आचार्य’ पद सृजित
- वेतनमान में भारी कटौती, ग्रेड पे 4600/4800 से घटाकर 4200/-
- 3712 रिक्त उर्दू शिक्षक पदों पर अब तक बहाली नहीं
- एक शिक्षक को 9वीं से 12वीं तक पढ़ाने की जिम्मेदारी
- शिक्षक पदों के मान-सम्मान और शिक्षा की गुणवत्ता पर खतरा
