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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 21 अगस्त से वक्फ सुरक्षा यात्रा निकालेगा एदार ए शरीया, 6 अगस्त को दारुल कजा का होगा सम्मेलन

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मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली की अध्यक्षता में हुई बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

रांची:- एदार ए शरीया झारखंड की एक अहम बैठक खानकाह मजहरिया मुनअमिया फिरदौस नगर, रांची में मौलाना अल्हाज सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी की अध्यक्षता में एदार ए शरीया झारखणड की बैठक हुई जिस का संचालन नाजिमे आला मौलाना कितुबुद्दीन रिजवी ने किया, बैठक का आगाज डोरंडा की केंद्रीय मस्जिद के इमाम और खतीब कारी आफताब जिया कादरी ने पवित्र कुरान की तिलावत के साथ किया।

नाजिम-ए-आला ने बैठक के एजेंडे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्य के मुसलमानों का पहले दिन से ही एदार ए शरीया पर विश्वास रहा है और एदारा के जिम्मेदार भी हर मोड़ पर धर्म,राष्ट्र और आम जनता की निस्वार्थ सेवा करते रहे हैं। नाजिम-ए-आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि एदारा के संस्थापक इस्लाम जगत के प्रतिभाशाली व्यक्तित्व, कलम के धनी अल्लामा अरशद-उल-कादरी ने देश के महान विद्वानों और बुजुर्गों
की उपस्थिति में एदार ए शरीया की स्थापना की थी। उन्हें बुजुर्गों द्वारा निर्धारित मार्गों पर मार्गदर्शन दिया है। संस्था का मुख्यालय पटना में है। आज जहां भारत के 18 राज्यों में एदार ए शरीया की शाखाएं सेवा में लगी हुई हैं, वहीं झारखंड में 14 स्थानों पर दार-उल-कजा और इफ्ता की शाखाएं हैं, जिनसे आम जनता लाभान्वित हो रही है, वहीं झारखंड के सभी जिलों में जिला कमेटियां सक्रिय हैं। इसके अलावा, विभिन्न स्थानों पर दार-उल-कजा की शाखाएं, दार-उल-इफ्ता की शाखाएं स्थापित करने की आवश्यकता है। जिस प्रकार एदारा शुरू से ही वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 का लगातार विरोध करत आ रहा है, उसी प्रकार आगे भी इस काले कानून का विरोध जारी रखने की आवश्यकता है। बैठक में प्रतिभागियों ने अपने उपयोगी सुझाव दिए। मजलिस के अध्यक्ष और एदार ए शरीया झारखणड उलेमा एंड मशाइख बोर्ड के चेयरमैन मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी ने कहा कि एदारा मुसलमानोंऔर राष्ट्र की एक महान संपत्ति है। उन्होंने कहा कि झारखंड एदार ए शरीया का गठन 28 जून 2001 को हुवा, और इसके सभी विभागों, विशेष रूप से दारुल कजा, दारुल इफ्ता, मस्जिदों के इमामों का संगठन, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रसारण विभाग, राहत मिशन, जागरूकता आंदोलन, बंदोबस्ती की सुरक्षा, धार्मिक और शैक्षिक जागरूकता, स्कूलों और मस्जिदों की स्थापना और अन्य विभागों के माध्यम से सेवाओं और संपर्कों की एक मूल्यवान निरंतरता है। यह देश का धरोहर है। एजेंडों पर आपसी परामर्श और प्रभावी व्यावहारिक कार्रवाई के लिए, निम्नलिखित निर्णय लिए गए कि विद्वानों और बुद्धिजीवियों के अनुरोध और सामाजिक जरूरतों के मद्देनजर, सिमडेगा, गढ़वा, घोरथुम्बा, जामताड़ा, गोड़्डा, चाईबासा में दारुल कजा की शाखाएं स्थापित की जाएंगी, जबकि गुमला, लातेहार, चतरा, बरही, नवादा,डुमरी, पेपचो में दारुल इफ्ता की शाखाएं स्थापित की जाएंगी। निर्णय के अनुसार, झारखंड में जहां भी दारुल कजा और दारुल इफ्ता स्थापित हैं, वहां के काजीयाने शरीयत,मुफतियाने केराम और कमिटी के जिम्मेदारों का प्रतिनिधी सम्मेलन 6 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे से रांची में होगा जिस में हुजूर अमीने शरीयत मुख्य अतिथि के रुप में भाग लेंगे,वर्तमान में, दार-उल-क़ज़ा की शाखाएँ और दार-उल-इफ्ता की शाखाएँ इन स्थानों पर स्थापित हैं: जमशेदपुर, ख़रसावां, मूसा बानी, धनबाद, बोकारो,गिरिडीह, कोडरमा, हज़ारीबाग़, रामगढ़, लोहरदगा, डाल्टेनगंज, मधुपुर, दुमका, राजमहल। निर्णय के अनुसार,एदार ए शरीया वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ अल्लामा सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी व मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी के नेतृत्व में 21 अगस्त 2025 से झारखंड में “औकाफ सुरक्षा यात्रा” निकाली जाएगी, अर्थात औकाफ संरक्षण यात्राएं निकाली जाएंगी, जिसका कार्यक्रम जल्द ही तैयार किया जाएगा, बैठक में 11 अगस्त 2025 को रांची में अल्लामा सैयद शाह अलकमा शिबली की सरपरस्ती और मौलाना डॉ. ताजुद्दीन रिजवी के नेतृत्व में, इदारा शरिया झारखंड, सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी, तंजीम अहले सुन्नत रांची की देखरेख में, उर्से काइदे अहले सुन्नत धूमधाम से मनाया जाएगा, निर्णय के अनुसार, झारखंड के मुसलमानों की लंबे समय से चली आ रही इच्छा और मांग को देखते हुए “पंजीकृत विवाह प्रमाण पत्र” मुद्रित किया जाएगा। इस अहम बैठक में मजलिस के अध्यक्ष हजरत मौलाना सैयद शाह अलकामा शिबली कादरी और नाजिमे आला मौलाना मुहम्मद कुतुबुद्दीन रिजवी के अलावा मौलाना सैयद शाह अबू तोराब तिबरानी, ​​कारी मुहम्मद अय्यूब रिजवी, मौलाना मुफ्ती जमील अहमद मिस्बाही, काजी शरीयत, मौलाना डॉ. ताजुद्दीन रिजवी, इमाम और खतीब रजा जामा मस्जिद, मौलाना मसूद फरीदी, शहर काजी मदरसा, मौलाना मसूद फरीदी, मौलाना मुफ्ती इजाज हुसैन मिस्बाही, काजी शरीयत, दारुल कजा इदारा शरीया, मौलाना मुफ्ती वसीम रजा, मोहम्मदी मस्जिद के इमाम और खतीब, मौलाना कारी आफताब जिया कादरी, सेंट्रल मस्जिद के इमाम और खतीब, मौलाना मुफ्ती आकिब जावेद,एदारा के सहायक काजी, मौलाना कारी आबिद रजा फैजी, पुंदाग जामे मस्जिद के इमाम और खतीब, कारी मुजीब-उर-रहमान, मस्जिदे इलाही के सचिव ,मौलाना शमशाद हुसैन मिस्बाही सहायक काजी, मौलाना जमाल वारिस, सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकील-उर-रहमान, इस्लामी मरकज के महासचिव मुहम्मद इस्लाम, मौलाना शेर मुहम्मद हाफिज शाबान रजा, मौलाना मुहम्मद हुसैन हबीबी, मौलाना इरफान मिस्बाही, मुहम्मद सदरुद्दीन कादरी, इरशाद अहमद, मुबाशेर रजा, कारी रेहान रजा व अन्य शामिल हैं. सत्र के अंत में मजलिस के अध्यक्ष पीरे तरीकत हजरत मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी की दुआ के साथ बैठक का समापन हुआ।

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