अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित
*मछली पालन के लिये पानी चाहिए, तालाब नहीं : डॉ.पीके साहू
*उन्नत मत्स्य बीज का प्रयोग करें : डॉ.केसी दास
*मत्स्य पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाएं, आर्थिक समृद्धि बढ़ाएं : डॉ.एनके बारिक
*मछली की नई प्रजातियां विकसित: डॉ.पी राउतरे
*मछली पालन की आधुनिक तकनीक अपनाएं, मत्स्य उत्पादन में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाएं: डॉ.एचएन द्विवेदी
रांची। मत्स्य किसान प्रशिक्षण केन्द्र, शालीमार, धुर्वा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) व केन्द्रीय मीठा जल जीव पालन अनुसंधान संस्थान, (सीआईएफए) भुवनेश्वर द्वारा झारखंड के आदिवासी किसानों को वैज्ञानिक तरीके से मत्स्य पालन पर प्रशिक्षण तथा इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में अनुसूचित जनजाति के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन का प्रशिक्षण देना तथा इनपुट (मत्स्य बीज, आहार नेट, हैंड नेट आदि) उपलब्ध कराना है।
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन से किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य झारखंड के आदिवासी किसानों के बीच मत्स्य पालन का व्यापक प्रचार करना तथा वैज्ञानिक तरीके के मत्स्य उत्पादन करना है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ.केसी दास, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि अब मछली पालन आधुनिक हो चुका है, जिसमें कम पानी में अधिक मत्स्य उत्पादन किया जा सकता है। इसका लक्ष्य किसानों को समृद्ध बनाना व कुपोषण दूर भगाना है।
प्रशिक्षण के दौरान
डॉ.एनके बारिक, (प्रधान वैज्ञानिक) ने कहा कि मत्स्य पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाना है, ताकि किसान स्वरोजगार करते हुए और लोगों को भी जोड़ें।
डॉ.पी राउतरे, (प्रधान वैज्ञानिक), सीफा ने बताया कि मछली की नई नई प्रजातियों का सीफा द्वारा विकसित किया गया है।
जयन्ती रोहू इम्प्रूवड कतला, इम्प्रूवड झींगा, अमूर कार्प, पेंगवा आदि मछली का पालन कर किसान समृद्ध हो सकते हैं।
निदेशक सीफा ने बताया कि किसान आरगेनिक मछलियों का पालन कर ज्यादा बाजार दर प्राप्त कर सकते हैं। उन्नत प्रजातियों की मछलियों का पालन, प्रजनन एवं बीज उत्पादन कर मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है। देशी कार्प मछलियों के साथ में झींगा मछली का मिश्रित पालन कर अधिक आमदनी अर्जित की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि मत्स्य सेतु एप द्वारा किसान मछलियों से संबंधित बीमारी एवं उपचार की जानकारी घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। ट्राईबल सब प्लान द्वारा रिसर्च लैब से नई-नई टेक्नोलोजी किसानों के बीच पहुंचाई जाएगी। मौके पर निदेशक, सीफा द्वारा अनुसंधान लैब का निरीक्षण किया गया तथा आवश्यक सुझाव भी दिए गए।
कार्यक्रम में
निदेशक (मत्स्य) डॉ.एचएन द्विवेदी ने कहा कि मत्स्य विभाग का सौभाग्य है कि हमारे बीच सीफा के वैज्ञानिक मछलीपालन के वैज्ञानिक तौर-तरीके सिखाने के लिए किसानों के बीच हैं। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर मछली पालन से संबंधित पुस्तक का विमोचन किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन मत्स्य किसान प्रशिक्षण केन्द्र के मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक ने किया। वहीं, कार्यक्रम को सफल बनाने में मंजुश्री तिर्की, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी, आशीष कुमार, श्रीधरण कुमार, पंकज प्रमाणिक, मनोज कुमार का सहयोग रहा।
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*मत्स्य कृषकों को बांटे गए मत्स्य बीज, फीड और अन्य उपकरण
इस अवसर पर चरवा उरांव, बेड़ो को मत्स्य बीज, मत्स्य आहार/ फीड, गोइंदा उराईन, बेड़ो को हापा, जाल, हैंड नेट, वंशीधर हांसदा, चांडिल को जाल तथा हापा, बिनोद मुण्डा, ब्रज किशोर उरांव, मांडर को भी मत्स्य बीज प्रतीक के तौर पर उपलब्ध कराया गया।
कार्यक्रम में डॉ.एचएन द्विवेदी, निदेशक मत्स्य, झारखंड के साथ साथ डॉ. पीके साहू, निदेशक, सीफा, डॉ.एनके बारिक, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.पी. राउतरे, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.केसी दास, प्रधान वैज्ञानिक, अमरेन्द्र कुमार, उप मत्स्य निदेशक, डॉ. अरूप चौधरी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, रामगढ, जयंत रंजन, जिला मत्स्य पदाधिकारी, रांची, प्रदीप कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, हजारीबाग, कुसुमलता, जिला मत्स्य पदाधिकारी, गुमला (अतिरिक्त प्रभार ,लोहरदगा) गीतांजली कुमारी, सहायक मत्स्य निदेशक, अनुसंधान के साथ साथ लगभग दो सौ अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषक उपस्थित थे।