इस तकनीक से इलाज़ करने वाला बिहार-झारखंड का पहला हॉस्पिटल बना मेडिका हॉस्पिटल
मेडिका हॉस्पिटल में ऑर्बिटल अथ्रेक्टॉमी एंजियोप्लास्टी तकनीक से मरीज की बची जान
नयी तकनीक लाकर 80 वर्षीय बुजुर्ग की बचाई जान
रांची: ऑर्बिटल अथ्रेक्टॉमी एंजियोप्लास्टी करने वाला मेडिका हॉस्पिटल, रांची बिहार-झारखंड का पहला हॉस्पिटल बन गया है। मेडिका हॉस्पिटल, रांची में डॉ. धनंजय कुमार ने ऑर्बिटल अग्रेक्टॉमी एंजिओप्लास्टी के माध्यम से बिहार-झारखण्ड में पहली बार इस नयी तकनीक लाकर 80 वर्षीय बुजुर्ग की जान बचाया है। यह जानकारी बुधवार को मेडिका हॉस्पिटल, रांची में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेडिकल डायरेक्टर डॉ विजय मिश्र और डॉ. धनंजय ने दी। उन्होंने बताया कि भागलपुर के 80 वर्षीय वृद्ध को एंजियोग्राफी से पता चला की उनके हृदय की सबसे बड़ी धमनी और सबसे बड़ी शाखा लैंड (LAD) में कैल्शियम का अत्यधिक जमाव होने के कारण एंजियोप्लास्टी नहीं हो सकती और बाहर के डाक्टरों ने अनुसार बाईपास के अलावा अन्य कोई रास्ता न था।
रोगी के परिवार को मेडिका के डॉ. धनंजय कुमार के बारे में जानकारी मिली। मरीज के परिजनों ने तुरंत डॉ. धनंजय कुमार से संपर्क किया। इसके बाद डॉ. धनंजय ने रिव्यू किया तो पता चला कि कैल्शियम जमाव का उपचार सामान्य मशीन से नहीं होने वाला था। ऐसे में डॉ. धनंजय ने नयी तकनीक की मशीन जिसे ऑर्बिटल अभ्रेक्टॉमी कहते है, कोलकाता से मंगवाई और सफलतापूर्वक धमनी को साफ़ कर 80 वर्षीय बुजुर्ग के जोखिम भरे बाईपास रोककर नवजीवन दिया।
मेडिकल डायरेक्टर डॉ. विजय मिश्र ने बताया कि ऑर्बिटल अग्रेक्टॉमी एंजिओप्लास्टी अर्थात दिल की धमनी से कैल्शियम काटने की नवीनतम तकनीक है, जिसका प्रयोग भारत में पहली बार अपोलो चेन्नई में फ़रवरी 2023 में किया गया था। अब यह तकनीक मेडिका हॉस्पिटल रांची में लाया गया है।
प्रेस वार्ता में हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक कुमार और रोहित कुमार ने बताया कि इस उपकरण पर हीरे के टुकड़े लगे होते है, जिस तरह ग्रह-उपग्रह अपनी कक्षा में घुमते है। उसी तरह ये मशीन धमनी में घुमकर कैल्शियम काटती है, इसके घुमकर काटने के तरीके के कारण इसका नाम ऑर्बिटल पड़ा।
बिहार-झारखंड में मेडिका हॉस्पिटल की ओर से लायी गयी इस नयी तकनीक ने झारखण्ड के लाखों हृदय रोगियों के लिए एक नयी राह खोल दी है।